नई दिल्ली : भाद्रपद पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, आज राधा जन्माष्टमी है. श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व राधा के बिना अधूरा है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग आज के दिन व्रत नहीं रखते उन्हें कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का फल भी नहीं मिलता है. व्रत के दौरान कृष्ण-राधा की प्रतिमा लगाकर पूजा करनी चाहिए.
कहां हुआ था राधा जी का जन्म
राधाजी का जन्म बरसाने में हुआ था, पद्मपुराण के मुताबिक उनके पिता का नाम वृषभानु था. राधाजी के पिता यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे, तभी उन्हें कन्या के रूप में राधाजी प्राप्त हुई थी. राधा अष्टमी या जन्माष्टमी के नाम से इस व्रत को जाना जाता है. इस व्रत को करने से धन की कमी नहीं होती और घर में बरकत बनी रहती है. इस व्रत को करने से भाद्रपक्ष की अष्टमी के व्रत से ही महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत भी होती है.
ऐसे करें व्रत
सुबह स्नान आदि करने के बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें. इसके बाद इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति कोस्थापित करें. मूर्ति स्थापित करने के बाद राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें. इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए. पूजा करने के बाद व्रत करें और केवल एक समय ही भोजन करें. अगले दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें.