गणेश चतुर्थी 2017: मिलिए भगवान गणेश के स्त्री रूप ‘विनायकी’ से…

हर हिंदू घर में गणेश जी की मूर्तियां पाई जाती हैं, हर शुभ काम में सबसे पहले उनकी पूजा होती है. ऐसे में गणेशजी से उनका मिलना होता ही रहता है, लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जो गणेश के स्त्री स्वरूप से मिल पाते हैं. बहुत कम लोग होंगे जो तस्वीरों में दिख रहे ‘स्त्री गणेश’ से पहले रूबरू हुए होंगे.

Advertisement
गणेश चतुर्थी 2017: मिलिए भगवान गणेश के स्त्री रूप ‘विनायकी’ से…

Admin

  • August 25, 2017 10:05 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली : हर हिंदू घर में गणेश जी की मूर्तियां पाई जाती हैं, हर शुभ काम में सबसे पहले उनकी पूजा होती है. ऐसे में गणेशजी से उनका मिलना होता ही रहता है, लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जो गणेश के स्त्री स्वरूप से मिल पाते हैं. बहुत कम लोग होंगे जो तस्वीरों में दिख रहे ‘स्त्री गणेश’ से पहले रूबरू हुए होंगे.

भारत भूमि में उपजे तमाम धर्म-पंथों में शक्ति पूजा अहम रही है, तभी यहां लगभग हर देवता के स्त्री स्वरूप की भी कल्पना की गई है. स्त्री गणेश यानी विनायकी की मूर्तियां देश भर में कई जगह मिली हैं और कई मंदिरों में अब भी उनके दर्शन किए जा सकते हैं.

विनायकी को विघ्नेश्वरी, गणेशनी, गजाननी, गजरूपा, रिद्धिसी, पीताम्बरी, गणेशी, गजानंदी, स्त्री गणेश और गजानना जैसे कई नामों से अलग अलग ग्रंथों में लिखा गया है. इनकी मूर्तियों का स्वरूप बिलकुल गणेशजी जैसा ही है, यानी सर हाथी का और धड़ पुरूष की जगह मानव स्त्री का हो जाता है. विनायकी को कई जगह 64 योगिनियों में भी शामिल किया गया है. जबकि जैन और बुद्ध ग्रंथों में विनायकी को एक अलग देवी के तौर पर माना गया है.

विनायकी की सबसे पुरानी टेराकोटा मूर्ति पहली शताब्दी ईसा पूर्व राजस्थान के रायगढ़ में पाई गई थी, ये तब की बात है जब मंदिरो में पूजा नहीं होती है. ऐसा माना जाता है कि मंदिर बनाकर पूजा करना गुप्त काल में यानी तीसरी चौथी शताब्दी में शुरू हुआ था. मगध साम्राज्य के केन्द्र यानी बिहार से भी विनायकी की एक मूर्ती दसवीं सदी की मिली. भेड़ाघाट (एमपी) के प्रसिद्ध 64 योगिनी मंदिर में 41वें नंबर की मूर्ति विनायकी की है. 64 योगनियों में शामिल होने का मतलब ये भी है कि तंत्र विद्या के पूजक भी इनकी पूजा करते आए हैं.

गणेश चतुर्थी 2017 : परेशानियों से पानी है मुक्ति तो आज रात को भूलकर भी न करें ये काम नहीं तो…

पुणे से 45 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बने भूलेश्वर मंदिर में भी विनायकी की प्रतिमा देखी जा सकती है, जो 13वीं सदी की है, दूर दूर से भक्त इनके दर्शन को जाते हैं. केरल के चेरियानाद के मंदिर में भी विनायकी की मूर्ति है, जो लकड़ी की बनी है. बुद्ध धर्म के लोग इसे सिद्धि कहते हैं तो कई ग्रंथों में विनायकी को ईशान की बेटी कहा गया है, जो शिव के अवतार हैं.

Tags

Advertisement