नई दिल्ली : जन्माष्टमी का त्योहार हिन्दुओं के लिए एक खास महत्व रखता है, लड्डू गोपाल का जन्म भाद्रपद मास के अष्टमी पर मध्यरात्रि को हुआ. भगवान कृष्ण के जन्म के समय 8 अंक का जो संयोग बना था उसमें कई राज (रहस्य) छिपे हुए हैं. आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि लड्डू गोपाल का 8 अंक के साथ एक विशेष संबंध है, क्या है वो संबंध आइए जानते हैं.
क्या है 8 अंक का महत्व
लड्डू गोपाल का जन्म भाद्रपद महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को महानिशीथ काल में वृष लग्न में हुआ, उस समय चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में भ्रमण कर रहे थे. केवल राहु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह अपनी उच्च अवस्था में थे.सात मुहूर्त निकलने के बाद आठवें मुहूर्त में लड्डू गोपाल का जन्म रात्रि के समय हुआ था, उस समय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र थी जिनके संयोग से जयंती नामक योग बना.
धरती पर विष्णु भगवान लड्डू गोपाल के 8वें अवतार थे, इसी कारण 8 अंक भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय है. भविष्यवाणी हुई थी कि कंस का वध वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान करेगी और अंत में लड्डू गोपाल में मामा कंस का सर्वनाश किया था. भगवान श्रीकृष्ण ने 16,100 रानियो से विवाह किया था और इन 16100 रानियों का योग 8 आता हैं.
बता दें कि भगवत गीता जो भगवान कृष्ण के उपदेश हैं, उसके आठवें अध्याय का आठवां श्लोक “परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे” को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. अंकशास्त्र में 8 अंक शनिदेव का माना जाता है,इसी कारण भगवान कृष्ण और शनिदेव के बीच एक विशेष संबंध है.