नई दिल्ली. पुत्रदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में काफी अहम स्थान रखता है. पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है. एक बार पौष माह में और दूसरी बार सावन में. सावन मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
इस व्रत को पापनाशिनी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस बार ये व्रत 3 अगस्त को किया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि पुत्र प्राप्ती की कामना और संतान की सुरक्षा के लिए इस व्रत को रखा जाता है. महिलाएं अपने बच्चों की मंगल कामना के लिए ये व्रत रखती हैं.
व्रत की विधि-
पुत्रदा एकादशी व्रत करने वालों को एकादशी से एक दिन पहले दशमी से ही नियमों का पालन शुरू कर देना चाहिए. ऐसा करने से व्रत सफल माना जाता है.
दशमी के दिन सुर्यास्त से पहले तक खाना खा लें. सू्र्यास्त के बाद भोजन न करें.
दशमी के दिन नहाने के बाद बिना प्याज-लहसून से बना खाना खाएं.
एकादशी के दिन स्नान करके व्रत का संक्लप लें.
प्रसाद, धूप, दीपआदिस से पूजा करें और पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें.
दिन भर निराहार व्रत रखें और रात में फलाहारी करें.
द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर उसके बाद स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दें उसके बाद पारन करें.
दशमी और एकादशी के दिन के नियम-
- रात में शहद, चना और मसूर की दाल खाने से बचें
- ब्रह्मचर्य का पालन करें
- दिन में सोने से बचें
- झूठ बोलने से बचें
- दूसरों की बुराई करने से बचें