नई दिल्ली: सावन महीना आते ही कई त्योहारों का आगमन हो जाता है. इन्हीं में से एक है त्योहार है हरियाली तीज. सावन महीने में शिव की विशेष आराधना के साथ हरियाली तीज महोत्सव भी बेहद खुशी के साथ मनाया जाता है. हरियाली तीज श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है.
वैसे तो यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में इस त्योहार खासतौर पर मनाया जाता है. इस पर्व को श्रावणी तीज या कजरी तीज भी कहते हैं. इस साल यह 26 जुलाई यानी बुधवार को पड़ रही है. ये पूजा पति की दीघार्यु और उत्तम स्वानस्य्ना की कामना की पूर्ति हेतु की जाती है. वहीं अविवाहित कन्याएं भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत रख सकती हैं.
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है
शास्त्रों के अनुसार, देवी पार्वती ने महादेव शिव को प्राप्त करने के लिए सौ सालों तक कठिन तपस्या की थी. अपनी कठिन साधना से उन्होंने इसी दिन भगवान शिव को प्राप्त किया था. यही कारण है कि विवाहित महिलाएं अपने सुखमय विवाहित जीवन और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति लिए यह व्रत रखती हैं. इस दिन हरी चूड़ियां, हरे कपड़े और मेंहदी का विशेष महत्व होता है. गांव के महिलाएं जगह-जगह समूह में मिलकर कजरी गीत गाती हैं, झूला झूलती है.
हरियाली तीज की पूजा के समय ध्यान रखें इन बातों को…
भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं.
फिर महिलाएं नहाकर मां की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाएं.
आप सुहाग श्रृंगार की चीज़ें और वस्त्र किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं.
पूजा में कथा का विशेष महत्व है, इसलिए हरियाली तीज व्रत कथा जरूर सुनें. इस दौरान मन में अपने पति का जरूर ध्यान करें
कथा पढ़ने के बाद भगवान गणेश की आरती करें. इसके बाद भगवान शिव और फिर माता पार्वती की आरती करें
हरियाली तीज व्रत में पानी नहीं पिया जाता. दुल्हन की तरह सजें और हरे कपड़े और जेवर पहनें. इस दिन मेहंदी लगवाना शुभ माना जाता है.