भुवनेश्वर : क्या आपको पता है कि बुखार सिर्फ हम इंसानों को अपने चपेट में नहीं लेता है, बल्कि भगवान भी इसके शिकार हो जाते हैं. अगर आप अब तक इस बात से अनजान हैं तो ये जान लें कि पूरी दुनिया को रोगमुक्त करने वाले भगवान जगन्नाथ खुद हर साल बीमार हो जाते हैं. उन्हें भी हम इंसानों की तरह बुखार हो जाता है और उनका भी इलाज किया जाता है.
इस बार भी भगवान जगन्नाथ को बुखार आ गया था, मगर तुलसीजी का काढ़ा देकर भगवान जगन्नाथ का उपचार किया गया और वो मंगलवार को स्वस्थ्य हो गये. इसके बाद अब 25 जून को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी और फिर वो अपनी जगह पर विराजमान होंगे.
दरअसल ऐसी मान्यता है कि हर साल ज्येष्ठ मास की स्नान पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ स्वामी बीमार पड़ जाते हैं, जिसके कारण वो आने वाले 15 दिनों तक अपने भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. उनके कपाट बंद रहते हैं और इन दिनों वो आराम करते हैं.
हर साल भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और सुभद्रा जी को ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष पूर्णिमा पर महास्नान कराया जाता है. ऐसी मान्यता है कि महास्नान के बाद वो बीमार पड़ जाते हैं. इसके बाद भगवान को मंदिर में अलग कक्ष में रखा जाता है और वो 15 दिन के एकांतवास पर चले जाते हैं. 15 दिन बाद जब भगवान पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं तब आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को धूमधाम से उनकी रथ यात्रा निकाली जाती है.
परंपरा है कि 15 दिनों तक भगवान को केवल तुलसी से तैयार किया काढ़ा दिया जाता है. 15 दिनों बाद उन्हें परवल का जूस दिया जाता है जिससे कि वो पूरी तरह से स्वस्थ हो जायें. वो दिन अमावस्या का होता है. तब भगवान को राजसी वस्त्र पहनाकर भक्तों के सामने लाया जाता है और रथ यात्रा का प्रारंभ होता है.
बता दें कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का मेला करीब 9 दिनों का होता है. भगवान जगन्नाथ मंदिर को चार धामों में से एक माना जाता है. इस बार भी रथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर है और 25 जून से धूम-धाम से यात्रा निकाली जाएगी.