वट सावित्री व्रतः इस बार 25 मई को बन रहा है ये शुभ संयोग

इस बार वट सावित्री व्रत का काफी शुभ संयोग बना है, जो कि गुरुवार यानी 25 मई को है. वट सावित्री व्रत में महिलाएं अनपे पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. हिंदू धर्म के मुताबिक, जो भी स्त्री वट सावित्री व्रत रखती हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति को लंबी उम्र मिलती है. इस साल इसी दिन स्नान दान की अमावस्या और शनि जयंती भी है.

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वट सावित्री व्रतः इस बार 25 मई को बन रहा है ये शुभ संयोग

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  • May 24, 2017 12:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली:  इस बार वट सावित्री व्रत का काफी शुभ संयोग बना है, जो कि गुरुवार यानी 25 मई को है. वट सावित्री व्रत में महिलाएं अनपे पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. हिंदू धर्म के मुताबिक, जो भी स्त्री वट सावित्री व्रत रखती हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति को लंबी उम्र मिलती है. इस साल इसी दिन स्नान दान की अमावस्या और शनि जयंती भी है. 
 
पंचांग के मुताबिक, गुरुवार को सुबह 5.18 मिनट पर सुर्योदय का संयोग है. इसके बाद ही महिलाएं पूजा-अर्चना के लिए वट वृक्ष के नजदीक जाएंगी और पति की लंबी उम्र की कामना, सुख-समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करेंगी. इस व्रत की मान्यता इनती अधिक है कि इसे करवाचौथ से जरा सा भी कम नहीं आंका जाता है. 
 
वट वृक्ष के नजदीक पूजा अर्चना करने के बाद महिलाएं कथा सुनती हैं और वृक्ष की चारों ओर परिक्रमा कर उसमें कच्चा सूता बांधती हैं. पूजा की विधि यहीं समाप्त नहीं हो जाती. वट वृक्ष की पूजा के बाद महिलाएं बड़ों का आशीर्वाद लेती हैं और अपने पति की पूजा कर उनका पैर धोती हैं. सबको घर में प्रसाद देकर फिर खुद मीठा भोजन ग्रहण करती हैं. बता दें कि गुरुवार को वट वृक्ष की पूजा का समापन शुक्रवार को होगा. 
 
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से महिलाएं लंबे समय तक सुहागन रहती हैं. कहा जाता है कि सावित्री ने वट के नीचे ही अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस ले लिया था. वट सावित्री व्रत में महिलाएं 108 बार बरगद की परिक्रमा कर पूजा करती हैं.
 
मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाएं वट वृक्ष पर जल अर्पण करती हैं और हल्दी का तिलक, सिंदूर और चंदन का लेप लगाती हैं. इस व्रत के पूजन के दौरान पेड़ को फल-फूल अर्पित करने की भी मान्यता है. इस दिन महिलाएं सुहाग से जुड़ा हर श्रृंगार करती हैं. बता दें कि इस व्रत की रौनक बाजारों में भी देखने को मिलती है.

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