आज के दिन होती है मां कूष्मांडा की पूजा, इस तरह करें अराधना

नई दिल्ली: आज नवरात्र का चौथा दिन है, और आज के दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा होती है. कूष्मांडा देवी सूर्य के समान तेजस्वी स्वरूप व उनकी आठ भुजाएं है जो व्यक्ति को कर्मयोगी और जीवन में ज्यादा अर्जित करने की प्रेरणा देती हैं. उनकी मधुर मुस्कान हमारी जीवन शक्ति का संवर्धन करते हुए हमें कठिन मार्ग पर चलकर सफलता पाने को प्रेरित करती है.
हमेशा से एक बात कही जाती है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी. ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं. इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है. वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं.
मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं. इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है. मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं. आज के दिन पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़कर उनका आहवान किया जाता है और फिर मंत्र पढ़कर उनकी आराधना की जाती है.
नवरात्री के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है. देवी कूष्माण्डा अपनी मन्द मुस्कान से अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से जाना जाता है. दुर्गा पूजा के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा का विधान उसी प्रकार है जिस प्रकार देवी कूष्मांडा और चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है.
इस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें. इसके बाद माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें जो माता के दोनों तरफ विराजमान हैं. इनकी पूजा के बाद हाथों में फूल लेकर कूष्माण्डा देवी को प्रणाम करें और इनकी आरधना करें तथा मन्त्र का उच्चारण करें.
“सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे..”
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
माता को इस दिन मालपुए का भोग लगाने से माता प्रशन्न होती हैं तथा बुद्धि का विकास करती है, और साथ -साथ निर्णय करने की शक्ति भी बढाती है. माता कुष्मांडा अपने उदर से ब्रह्मंड को उत्पन्न करने माता हैं. यह बाघ की सवारी करती हुईं अष्टभुजाधारी,मस्तक पर रत्नजडि़त स्वर्ण मुकुट पहने उ”वल स्वरूप वाली दुर्गा हैं.
नवरात्री के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती हैं. इनकी आरधना करने से सभी प्रकार के रोग एवं कष्ट मिट जाते हैं तथा साधक को मां की भक्ति के साथ ही आयु, यश और बल की प्राप्ति भी सहज ही हो जाती है. कुष्मांडा माता बुद्धि का विकास करती है, और साथ -साथ निर्णय करने की शक्ति भी बढाती है.

 

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