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पुरातत्वशास्त्री बीबी लाल का दावा, ‘जल प्रलय’ और मनु की कहानी थी एक सच्ची घटना

नई दिल्ली. भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक और पुरातत्वशास्त्री बीबी लाल ने दावा है कि पुराणों में लिखी 'मनु की बाढ़' सिर्फ कहानी नहीं एक सच्ची घटना थी. भारतीय एतिहासिक अनुसंधान परिषद यानी आइसीएचआर की ओर से आयोजित एक सेमिनार में बीबी लाल ने एक रिसर्च पेपर भी पेश किया गया.

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  • March 28, 2017 6:08 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक और पुरातत्वशास्त्री  बीबी लाल ने दावा है कि पुराणों में लिखी ‘मनु की बाढ़’ सिर्फ कहानी नहीं एक सच्ची घटना थी. भारतीय एतिहासिक अनुसंधान परिषद यानी आइसीएचआर की ओर से आयोजित एक सेमिनार में बीबी लाल ने एक रिसर्च पेपर भी पेश किया गया.
इसमें उन्होंने दावा किया है कि पुरातात्विक साक्ष्यों कहते हैं कि मनु की बाढ़ की वजह से ही सरस्वती नदी गायब हो गई थी.
उनका कहना है कि सरस्वती नदी में बाढ़ आई थी और यह घटना 2000 से 1900 ईसा पूर्व हुई होगी. उन्होंने कहा कि यह ठीक उसी समय की घटना है जिस समय मनु की बाढ़ आई थी.
उन्होंने कहा कि यह घटना ऋग्ववेद लिखे जाने के बाद, ईसा पूर्व की दूसरी सहस्नाब्दी शुरू होने से पहले आई थी. उन्होंने सेमिनार में आए विशेषज्ञों से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या इसके बाद भी हमें मनु की बाढ़ को सिर्फ एक मिथक ही कहना चाहिए.
आपको बता दें कि डॉ. बीबी लाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक भी रह चुके हैं उन्होंने पुरातत्व से संबंधित कई किताबें लिखी हैं. उनकी एक एक किताब राम, उनकी एतिहासिकता व मंदिर’ और ‘सेतु : साहित्य के साक्ष्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान’ पर काफी बवाल हो चुका है क्यों कि उस किताब में उन्होंने दावा किया था कि अयोध्या में बाबरी में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा किया था.
हालांकि उनके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक और महानिदेशक केके मोहम्मद ने भी कहा था कि अयोध्या में विवादित ढांचा स्थल की खुदाई के बाद जो अवशेष मिले थे वो मंदिर के ही थे. फिलहाल अब देखने वाली बात होगी डॉ. बीबी लाल के इस दावे पर बाकी विद्वान क्या कहते हैं. 
क्या ‘जल प्रलय’ और मनु की कहानी
पुराणों में एक कथा कि जिक्र है कि द्रविड़ देश के राजा सत्यव्रत (राजा मनु) से भगवान विष्णु ने कहा था कि आज से 7 वें दिन जल प्रलय से पूरी पृथ्वी समुद्र में समा जाएगी. तुम समस्त जीवों, बीजों और सप्त ऋषियों को लेकर एक नाव में चढ़ जाना में मत्स्य रूप में आकर तुम्हारी नौका बचा लूंगा.
जल प्रलय के बाद नाव में सवार ही लोग बच पाए. कहा जाता है इन्हीं लोगों के बाद मानव जीवन का विकास हो पाया. जिस पुराण में इस घटना का वर्णन है उसे मत्स्य पुराण कहा जाता है जो तौरात, इंजिल, बाइबिल और कुरआन से हजारों साल पहले लिखा गया था. 

 

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