नई दिल्ली: आज से चैत्र नवरात्र के साथ ही हर जगह धार्मिक आयोजन शुरू हो गए हैं. साल 2017 के चैत्र नवरात्र के साथ ही हिंदू नवसंवत्सर भी शुरू होगा हैं. 9 दिनों तक चलने इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाएगी.
वसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंतीय या वासंतिक नवरात्र भी पुकारा जाता है. 28 मार्च से शुरू होने वाले यह चैत्र नवरात्र 5 अप्रैल तक चलेंगे और 9 दिन 9 देवियों की आराधना की जाएगी.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
इसका शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 26 मिनट से लेकर 10 बजकर 24 मिनट तक का बताया जा रहा है.
मार्च को नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ देवी शैलपुत्री की पूजा होगी. इसका शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 26 मिनट से लेकर 10 बजकर 24 मिनट तक का बताया जा रहा है.
मार्च यानी नवरात्र के दूसरे दिन द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी की पूजाअर्चना की जाएगी.
मार्च को देवी मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाएगा. वहीं इसके साथ गणगौरी पूजन भी होगा.
मार्च को मां के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा का पूजन संपन्न होगा, इसी दिन श्री सिद्धि विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ समय भी साथ ही चलेगा.
अप्रैल को मां स्कन्दमाता की पूजा की जाएगी जिन्हें शिवपुत्र कार्तिकेय की मां स्कंदमाता के रूप में जाना जाता है.
अप्रैल यानी नवरात्र के छठे दिन देवी कात्यायनी के पूजन का दिन है.
अप्रैल को कालरात्रि मां की पूजा की जाएगी और इस दिन को तंत्रमंत्र की साधना करने वालों के लिए खास दिन माना जाता है.
अप्रैल को आठवीं देवी महागौरी का पूजन होगा और श्री दुर्गा अष्टमी व्रत, महा अष्टमी के साथ अष्टमी पूजने वाले लोग कंजकों का पूजन करेंगे. इस दिन लोग देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन करते हैं. इस पूजा का समय हालांकि सुबह 11 बजकर 21 मिनट तक का ही बताया जा रहा है और इसके बाद नवमी आरंभ मानी जाएगी.
अप्रैल बुधवार को देवी भगवती के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री का पूजन होगा. इस श्री दुर्गा नवमी के साथ ही श्री राम नवमी, महानवमी, श्री राम जन्म महोत्सव मनाया जाएगा. देवी सिद्धिदात्री की पूजा पूरी करने के बाद ही नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूरा होता है. कई लोग पूरे दिन अखंड ज्योत देवी की पूजा के लिए जलाते हैं और नवम दिन खत्म होने तक दिया का जलना शुभ मानते हैं.