नवरात्र में इस तरह करें पहले दिन की पूजा, 8 बजकर 26 मिनट है शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: नवरात्र का पावन और शुभ समय कल यानी मंगलवार 28 मार्च से शुरू होने वाला है. इन नवरात्रों के साथ ही धार्मिक आयोजन भी शुरू हो जाएंगे.  इस दौरान मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है. इस दौरान माता के भक्त नौं दिनों तक जप, तप जैसे विभिन्न अनुष्ठानों से माता को प्रसन्न करते हैं और उनसे आशिर्वाद मांगते हैं.
चार बार आते हैं नवरात्र
नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक की जाती है और हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना होती है. एक साल में नवरात्र चार बार आते हैं. चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ महीनों में चार बार मां दुर्गा के स्वरूपों की अराधना की जाती है. लेकिन, इन चारों में से चैत्र और अश्विन नवरात्र की सबसे ज्यादा मान्यता है. वहीं अन्य दो गुप्त नवरात्र मानी जाती हैं.
शुभ मुहूर्त 8: 26 बजे
देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं. जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं. पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना होती है. मां शैलपुत्री का दर्शन कलश स्थापना के साथ ही प्रारम्भ हो जाता है. इस पूजा की शुरुआत घटस्थापना से होगी. पूजा के पहले दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 26 मिनट से लेकर 10 बजकर 24 मिनट तक है.
नवरात्र में ऐसे करें पूजा
नवरात्र में सबसे पहले सुबह ब्रहम मुहूर्त में उठकर शुद्घ जल से स्नान करें. इसके बाद घर के किसी स्वच्छ और पवित्र स्थान पर मिट्टी से वेदी बनाएं. वेदी में गेहूं और जौं दोनों को मिलाकर बो लें. वेदी के पास धरती मां का पूजन करें. इसके बाद वहां कलश स्थापित करें. सबसे पहले प्रथम पूजनीय श्रीगणेश की पूजा करें. फिर वेदी के किनारे पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देवी मां की प्रतिमा स्थापित करें. मां दुर्गा की कुंकुम, चावल, पुष्प, इत्र इत्यादि से विधिपूर्वक पूजा करें. इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें.
चैत्र नवरात्र 2017: नवरात्रि में क्या करें
– 28 मार्च: नवरात्र के पहले दिन की शुरुआत घटस्थापना से होगी और इस दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाएगी.
– 29 मार्च: नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिण की आराधना करें.
– 30 मार्च: चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाएगी.
– 31 मार्च: चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे रूप देवी कूष्मांडा की पूजा की जाएगी.
– 1 अप्रैल: पांचवे दिन भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की आराधना करें.
– 2 अप्रैल: नवरात्र के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा करनी होगी.
– 3 अप्रैल: नवरात्र के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाएगी.
– 4 अप्रैल: चैत्र नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करें. इस दिन कन्या भी पूजी जाती है.
– 5 अप्रैल: नौवें दिन भगवती के देवी सिद्धदात्री स्वरूप की आराधना की जाएगी. इस दिन भी कई लोग कन्या पूजन किया जाता है. साथ ही इस आखिरी दिन नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूरा हो जाता है.
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