अमावस्या तिथि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान और पितरों का तर्पण करने का विधान है, इसके साथ ही इस दिन ही श्रद्धा अनुसार दान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों को करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नई दिल्ली: अमावस्या तिथि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान और पितरों का तर्पण करने का विधान है, इसके साथ ही इस दिन ही श्रद्धा अनुसार दान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों को करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार पौष माह की अमावस्या वर्ष के अंत में पड़ रही है और उस दिन सोमवार है। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी। चलिए जानते हैं सोमवती अमावस्या की सही डेट, शुभ मुहूर्त, दान और उपाय के बारे में।
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत होगी है। वहीं, इस तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में 30 दिसंबर को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:02 बजे से 12:44 बजे तक रहेगा, जो पूजा और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
सोमवती अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान, पितरों का तर्पण और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से शनि दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही, पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करना और सरसों के तेल का दान करना भी शुभ माना जाता है।
1. प्रातःकाल पवित्र नदी या घर में स्नान करें।
2. स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करें।
3. पितरों के तर्पण के लिए जल अर्पित करें।
4. जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
5. शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
इस प्रकार, सोमवती अमावस्या पर विधिपूर्वक स्नान, दान और पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
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