इस मंदिर में फल-फूल नहीं, चप्पलों की माला चढ़ाते हैं भक्त !

आपने मंदिरों में देवताओं पर फल-फूल, सोना-चांदी, रुपया-पैसा चढ़ाते हुए लोगों तो जरूर देखा होगा, लेकिन यदि कोई भक्त अपने अराध्य को चप्पल चढ़ाए तो यह वाकई विश्वास करने वाली बात नहीं होगी, लेकिन कर्नाटक के गुलबर्ग के गोला लकम्मा देवी मंदिर में लोग चप्पलें चढ़ाते हैं.

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इस मंदिर में फल-फूल नहीं, चप्पलों की माला चढ़ाते हैं भक्त !

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  • November 12, 2016 12:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
बैंगलरु. आपने मंदिरों में देवताओं पर फल-फूल, सोना-चांदी, रुपया-पैसा चढ़ाते हुए लोगों तो जरूर देखा होगा, लेकिन यदि कोई भक्त अपने अराध्य को चप्पल चढ़ाए तो यह वाकई विश्वास करने वाली बात नहीं होगी, लेकिन कर्नाटक के गुलबर्ग के गोला लकम्मा देवी मंदिर में लोग चप्पलें चढ़ाते हैं.
 
इस मंदिर के सामने एकक नीम का पेड़ भी है जिसमें लोग चप्पल बांधकर मन्नतें मांगते हैं. लकम्मा देवी का यह मंदिर कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंदा तहसील में है. इस मंदिर की एक खासियत भी है कि यहां का पुजारी हिंदू नहीं बल्कि मुसलमान ही होता है. मंदिर के बाहर चप्पलों की मालाएं बिकती हैं.
 
ये है मान्यता
देवी के मंदिर के सामने नीम के पेड़ पर लोग चप्पल बांधकर मन्नत मांगते हैं. लोगों की मान्यता है कि चप्पल की माला चढ़ाने से उनकी मुरादें पूरी हो जाती हैं. यहां के लोग बताते हैं कि एक बार देवी मां पहाड़ी पर टहल रही थीं. उसी वक्त दुत्तारा गांव के देवता की नजर देवी पर पड़ी और उन्होंने उनका पीछा करना शुरू कर दिया. देवी ने उससे बचने के लिए अपने सिर को जमीन में धंसा लिया. तब से लेकर आज तक माता की मूर्ति उसी तरह इस मंदिर में है और यहां लोग आज भी देवी के पीठ की पूजा करते हैं.
 
पहले मंदिर में बैलों की बलि दी जाती थी लेकिन जानवरों की बलि देने पर रोक लगने के बाद बलि प्रथा बंद कर दी गई, जिसके बाद देवी क्रोधित हो गईं. फिर उन्हें किसी तरह शांत किया गया. इसके से ही बलि के बदले चप्पल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.

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