नई दिल्ली. दिवाली के बाद से ही छठ पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है. सूर्य की उपासना के लिए मनाया जाने वाला यह पर्व खास तौर पर पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है.
बिहार में छठ पर्व का विशेष महत्व है. दरअसल, बिहार में सूर्य पूजा की परंपरा रही है. मान्यता है कि सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित है. इसके तहत रविवार के दिन भगवान भास्कर (सूर्य देव) की पूजा की जाती है. छठ महापर्व में भगवान भास्कर (सूर्य देव) को जल अर्पित कर पूजा की जाती है. सूर्य की उपासना ऋग्वैदिक काल से ही होती आ रही है.
चार दिनों की होती है छठ पूजा
सूर्योपासना का यह महापर्व चार दिन तक चलता है. इसकी शुरुआत नहाए-खाए से होती है. अगले दिन व्रतधारी दिनभर उपवास रखकर गोधुली वेला में खरना करते हैं. उसके अगले दिन डूबते सूर्य और फिर अगली सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही यह महापर्व संपन्न होता है. चार दिन का छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी को और समापन कार्तिक शुक्ल पक्ष के सप्तमी को होता है.
हिन्दू धर्म के पंच देवों में से एक सूर्य देव की पूजा से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है. सूर्य की पूजा मनुष्य को निडर बनाती है.
सूर्यदेव की आराधना के लिए इन मंत्रों का भी जाप करें-
नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्।
दिवीकरं रविं भानुं मार्तण्ड भास्करं भगम्।।
इन्दं विष्णु हरिं हंसमर्क लोकगुरूं विभुम्।
त्रिनेत्रं र्त्यक्षरं र्त्यडंग त्रिमूर्ति त्रिगति शुभम्।।
सूर्य की पूजा के लिए सुबह स्नान कर सफेद कपड़े पहनें और सूर्य देव को नमस्कार करें. उसके बाद तांबे के बर्तन में ताजा पानी भरकर नवग्रह मंदिर में जाकर सूर्य देव को लाल चंदन का लेप, कुकुंम, चमेली और कनेर के फूल अर्पित करें. सूर्य की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित करें. मन में सफलता और यश की कामना करें तथा “ऊं सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाए. इसके बाद जमीन पर माथा टेककर मंत्र का जाप करें.