भाई दूज के दिन करें चित्रगुप्त की पूजा, नहीं होगी अकाल मृत्यू, रोग होंगे दूर

दिवाली के दो दिन बाद भाई दूत का पावन पर्व मनाया जाता है, इस बार यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाने वाला है. भाई दूज को जहां एक ओर भाई-बहन के पावन रिश्ते का पर्व कहा जाता है तो वहीं दूसरी ओर कायस्थ समाज के लोग इस दिन पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त भगवान को पूजते हैं.

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भाई दूज के दिन करें चित्रगुप्त की पूजा, नहीं होगी अकाल मृत्यू, रोग होंगे दूर

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  • October 31, 2016 5:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. दिवाली के दो दिन बाद भाई दूत का पावन पर्व मनाया जाता है, इस बार यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाने वाला है. भाई दूज को जहां एक ओर भाई-बहन के पावन रिश्ते का पर्व कहा जाता है तो वहीं दूसरी ओर कायस्थ समाज के लोग इस दिन पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त भगवान को पूजते हैं.
 
प्राचीन पुराणों के मुताबिक ब्रह्मा जी के पुत्र चित्रगुप्त भगवान ही इंसान के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं. भाई दूज के दिन इनकी भी पूजा की जाती है. इस दिन कायस्थ समाज के लोग कलम दवात की पूजा करते हैं और दिन भर पढ़ने-लिखने का कोई भी कार्य नहीं करते.
 
चित्रगुप्त की पूजा करने से अकाल मृत्यू नहीं होती है, रोग नहीं होता है. दरिद्रता दूर होती है और अशिक्षा भी दूर होती है. चित्रगुप्त की पूजा सुबह की जाती है और कलम दवात की पूजा दोपहर में की जाती है.
 
भगवान चित्रगुप्त को प्रसन्न करने के लिए पूजा का स्थान अच्छे तरह से साफ करने के बाद चित्रगुप्त जी की फोटो रखनी चाहिए. उसके बाद उसमें हल्दी, कुमकुम का तिलक लगाना होता है. चंदन रोली, अक्षत, हल्दी भी लगाई जाती है. प्रसाद के रूप में पंचामृत बनाया जाता है, साथ-ही-साथ मिठाई, पान सुपारी दूध का भोग लगाया जाता है. पूजा के स्थान पर घर के लोग कलम दवात को भी पूजा के स्थान पर रख कर उनकी पूजा करते हैं.

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