श्री सूक्त के साथ करें मां लक्ष्मी की पूजा, होती रहेगी धन वर्षा

आज पूरे देश में दिवाली की पूजा की धूम है. शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा होगी. इस अवसर पर हम आपको श्री सूक्त के बारे में बताएंगे, जिसके साथ लक्ष्मी की पूजा से धन की कमी नहीं रहती है.

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श्री सूक्त के साथ करें मां लक्ष्मी की पूजा, होती रहेगी धन वर्षा

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  • October 30, 2016 7:32 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. आज पूरे देश में दिवाली की पूजा की धूम है. शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा होगी. इस अवसर पर हम आपको श्री सूक्त के बारे में बताएंगे, जिसके साथ लक्ष्मी की पूजा से धन की कमी नहीं रहती है.
 
1. सबसे पहले स्नान करके पूर्वाभिमुख होकर (पूर्व दिशा की ओर मुंह करके) अपने शरीर और पूजन सामग्री पर इस मंत्र से जल छिड़कें
    ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा
    य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचिः
 
2. उसके बाद हाथ में जल, अक्षत और फूल संकल्प करें.
3. भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा षोडशोपचार (16 प्रकार से) आसन, आवाहन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, मधुपर्क स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध, प्रार्थना और मंत्र-पुष्पांजली के साथ पूजा करें.
4. अब घी के दीपक के सम्मुख महालक्ष्मी के श्री सूक्त का पाठ करते हुये महालक्ष्मी को कनेर के पुष्प अर्पित करें. यह उपाय निश्चित रूप से लाभ देने वाला हैं. श्री सूक्त ऋग्वेदोक्त सिद्ध मंत्र हैं. इस प्रयोग का लाभ आपको कुछ ही दिन में मिलना आरम्भ हो जायेगा.
 
श्री सूक्त मंत्र
हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्र​जाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥
प्रभासां यशसा लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद गृहात् ॥
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरींग् सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥
कर्दमेन प्रजाभूता सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस गृहे ।
नि च देवी मातरं श्रियं वासय कुले ॥
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पूरुषानहम् ॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥
 
आप सभी को इनखबर टीम की ओर से दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं!
 

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