नई दिल्ली. रविवार को पूरे देश-दुनिया में दिवाली की धूम रहेगी. लोगों ने इसकी सारी तैयारियां भी कर ली है, लेकिन उचित पूजा विधि के बिना कोई भी पूजा या साधना स्वीकार नहीं होती है इसलिए दिवाली से एक दिन पहले ही आज हमको पूजा की संपूर्ण विधि और पूजा की सामग्रियों के बारे में विस्तार से बताएंगे.
मां लक्ष्मी को चलल, अचल, दृश्य, सभी सिद्धियों एवं निधियों की अदिष्ठात्री हैं. कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मां लक्ष्मी और भगवान गणेण की नवीन प्रतिमाओं को पूजन किया जाता है. पूजन के लिए सबसे पहले किसी चौकी अथवा कपड़े पर गणेश जी की प्रतिमा रखें उसके दाहिने भाग में देवी लक्ष्म की प्रतिमा रखें.
पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा शाम 6 बजकर 27 से लेकर रात 8 बजकर 9 तक है. वैसे लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में उत्तम माना गया है. रविवार यानी 30 अक्टूबर को प्रदोष काल 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 9 मिनट तक है.
महानिशिता काल- रविवार की रात 11 बजकर 38 मिनट से रात 12 बजकर 30 मिनट तक है, जो कि तांत्रिक पूजा के लिए उत्तम माना गया है.
पूजा विधि
1. सबसे पहले स्नान करके पूर्वाभिमुख होकर (पूर्व दिशा की ओर मुंह करके) अपने शरीर और पूजन सामग्री पर इस मंत्र से जल छिड़कें
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा.
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचिः
2. उसके बाद हाथ में जल, अक्षत और फूल संकल्प करें.
3. भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा षोडशोपचार (16 प्रकार से) आसन, आवाहन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, मधुपर्क स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध, प्रार्थना और मंत्र-पुष्पांजली के साथ पूजा करें.
4. अब इस मंत्र से अष्टलक्ष्मी की पूजा करें
ॐ आद्दलक्ष्मै नमः, ॐ विधालक्ष्मै नमः, ॐ सौभाग्यलक्ष्मै नमः, ॐ अमृतलक्ष्मै नमः, ॐ कामलक्ष्मै नमः, ॐ सत्यलक्ष्मै नमः, ॐ भोगलक्ष्मै नमः, ॐ योगलक्ष्मै नमः
5. इस मंत्र से कुबेर की पूजा करें
आवाहयामी देव त्वामिहायामी कृपां कुरु
कोशं वर्ध्दय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर
6.इसके बाद ऊँ कुबेराय नमः से कुबेर की पूजा करें. उसके बाद निम्न मंत्र से प्रार्थना करें
धनदाय नमस्तुभ्यं निदिपद्माधिपाय च
भगवान त्वत्प्रसादेन धनधान्यदिसम्पदः
5. अंत में आरती के साथ पूजा का समापन करें और प्रसाद वितरण करें.
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Good, But can you give the full Puja vidhi rather then the 5 steps. Thanq.