जानें आखिर क्यों कहा जाता है छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी

आज छोटी दिवाली है. इसे नर्क चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. नरक चतुर्दशी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला त्यौहार है. इस दिन को बड़ी दिवाली के मुकाबले छोटे स्तर पर मनाया जाता है और कुछ दिए और पटाखे जलाए जाते हैं.

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जानें आखिर क्यों कहा जाता है छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी

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  • October 29, 2016 6:14 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. आज छोटी दिवाली है. इसे नर्क चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. नरक चतुर्दशी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला त्यौहार है. इस दिन को बड़ी दिवाली के मुकाबले छोटे स्तर पर मनाया जाता है और कुछ दिए और पटाखे जलाए जाते हैं. 
 
आइए आपको बताते हैं क्यों मनाते हैं छोटी दिवाली
विष्णु पुराण में नरकासुर वध की कथा का उल्लेख मिलता है. विष्णु ने वराह अवतार धारण कर भूमि देवी को सागर से निकाला था. द्वापर युग में भूमि देवी ने एक पुत्र को जन्म दिया. वह एक अत्यंत क्रूर असुर था, इस कारण ही उसका नाम नरकासुर रखा गया. 
 
नरकासुर प्रागज्योतिषपुर का राजा बना. उसने देवी-देवताओं और मनुष्यों सभी को बहुत तंग कर रखा था. यही नहीं उसने गंधर्वों और देवों की 16000 अप्सराओं को कैद करके रखा हुआ था.  एक बार नरकासुर अदिति के कर्णाभूषण उठाकर भाग गया था. सभी देवतागण दौड़े-दौड़े भगवान इन्द्र के पास रक्षा करने की गुहार लगाने पहुंचे. इंद्र की प्रार्थना पर भगवान कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर की नगरी पर अपनी पत्नी सत्यभामा और साथी सैनिकों के साथ भयंकर आक्रमण कर दिया. 
 
इस युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने मुर, हयग्रीव और पंचजन आदि राक्षसों का संहार कर दिया. इसके बाद कृष्ण ने थकान की वजह से क्षण भर के लिए अपनी आँखें बन्द कर ली. तभी नरकासुर ने हाथी का रूप धारण कर लिया और कृष्ण पर हमला करने आ गया. सत्यभामा ने उस असुर से लोहा लिया और नरकासुर का वध किया. इसके बाद सोलह हजार एक सौ कन्याओं को राक्षसों के चंगुल से छुड़ाया गया. इसलिए भी यह त्योहार मनाया जाता है. तभी से इसका नाम नरक चौदस पड़ा. 
 
भगवान कृष्ण के वामन अवतार से भी है संबंध
राजा बलि अत्यंत पराक्रमी और महादानी राजा था. यहां तक कि देवराज इंद्र भी उससे डरते थे. इंद्र को भय था कि कहीं राजा बलि उनका राज्य ही न छीन ले. इसी डर से भगवान इंद्र ने राजा बलि से अपनी रक्षा के लिए भगवान विष्णु से गुहार लगाई. भगवान विष्णु ने वामन रूप धरकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांग ली और उसे पाताल लोक का राजा बना कर पाताल भेज दिया. दक्षिण भारत में मान्यता है कि ओणम के दिन हर वर्ष राजा बलि आकर अपने पुराने राज्य को देखता है. विष्णु भगवान की पूजा के साथ-साथ राजा बलि की पूजा भी की जाती है. 
 
नरक चौदस के दिन दीपक जलाने से वामन भगवान खुश होते हैं तथा मनचाहा वरदान देते हैं. 

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