यहां पढ़ें धनतेरस की संपूर्ण वैदिक पूजा विधि और मुहूर्त

दिवाली से पहले धनत्रयोदशी या धनतेरस की पूजा का शास्त्रों में बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. प्रदोष काल में किया गया धनतेरस पूजा हमेशा उत्तम फलदायक होता है. कोई भी पूजा तभी सार्थक होती है जब उसी सही मुहूर्त और उचित तरीके से किया जाए.

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यहां पढ़ें धनतेरस की संपूर्ण वैदिक पूजा विधि और मुहूर्त

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  • October 27, 2016 7:56 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. दिवाली से पहले धनत्रयोदशी या धनतेरस की पूजा का शास्त्रों में बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. प्रदोष काल में किया गया धनतेरस पूजा हमेशा उत्तम फलदायक होता है. कोई भी पूजा तभी सार्थक होती है जब उसी सही मुहूर्त और उचित तरीके से किया जाए.
 
हम आपको धनतेरस पूजा की विधि विस्तार से बताएंगे. सबसे पहले आपको बता दें मान्यता के अनुसार स्थिर लग्न में धनतेरस पूजा करने से लक्ष्मी जी घर में रुक जाती हैं. ज्योतिष के मुताबिक वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है.
 
 
धनतेरस पूजा 28 अक्टूबर की शाम को 5 बजकर 35 से 6 बजकर 20 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस समय लग्न भी स्थिर है. इसलिए यह धनतेरस पूजा का सबसे उत्तम समय है. साथ ही धनतेरस की रात घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दीप जलाना चाहिए. इससे परिवार के किसी सदस्य की अकाल मुत्यु नहीं होती है. इस दीपक को यम दीपक भी कहा जाता है. दीपक जलाने का कार्य त्रयोदशी के दिन किया जाता है.
 
धनतरेस के दिन का पंचांग
धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 5:35 से 6:20 तक (28 अक्टूबर 2016, दिल्ली के लिए)
पूजा अवधि- 45 मिनट्स 
प्रदोष काल- शाम 5:35 से 8:11
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 27 अक्टूबर 2016 की शाम 4:15 बजे से 
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 28 अक्टूबर 2016 की 6:20 बजे तक
 
पूजा विधि
सबसे पहले स्नान करके पूजन सामग्री के साथ पूजा स्थल पर पूर्वाभिमुख (पूर्व दिशा की ओर मुंह करके) आसन लगाकर बैठें. उसके बाद नीचे दी गई विधि अनुसार पूजा प्रारंभ करें-
 
1. नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण कर पूजन सामग्री और अपने शरीर पर जल छिड़कें
    ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा.
    य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:
 
2. हाथ में अक्षत, फूल, और जल लेकर पूजा का संकल्प करें.
3. भगवान धनवंतरी की मूर्ती के सामने हाथ में अक्षत, फूल, और गंगाजल लेकर आवाहन करें.
    सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
   अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
   गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
 
इसके बाद भगवान के आवाहन के लिए जल और चावल चढ़ाएं. फिर फल-फूल, गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली आदि से विधिवत पूजा करें. अब यदि चांदी के सिक्के की पूजा करें. धनतरेस के दिन भगवान कुबेर की भी पूजा होती है. भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त करने के लिए नतेरस के दिन कुबेर को प्रसन्न करने का मंत्र-शुभ मुहूर्त में धनतेरस के दिन धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करें- इस मंत्र का जाप करने से भगवन धनवन्तरी बहुत खुश होते हैं, जिससे धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
 
इनखबर टीम की ओर से आप सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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