12 Jyotirlinga: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग जो कि देश के अलग-अलग स्थलों पर स्थित हैं. इन 12 तीर्थस्थानों में स्वंय भगवान शिव विराजमान होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो इंसान जीवन में एक बार इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर लेता है उसके सात जन्मों के सारे के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: सोमनाथ भारत का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा ज्योतिर्लिंग माना जाता है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र किनारे स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग को पृथ्वी का भी पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. यह मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव द्वारा हुई थी.
इसी कारण से चंद्रमा को सोमदेव भी कहा जाता है. यही कारण है कि इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा है. इस ज्योतिर्लिंग को 16 बार तोड़ा गया है और फिर दोबारा बनाया गया है. सोमनाथ की कहानी काफी रोचक है जो कि पूरे भारत में लोकप्रिय मानी जाती है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में स्थित है. यह देश का दूसरा प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग माना जाता है. यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर बने इस मंदिर को कैलाश समान माना जाता है. क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सभी पापों से मुक्ति भी मिल जाती है. इस स्थल के दर्शन करने से दैहिक, दैविक और भौतिक ताप मिट जाते हैं. प्राचीन काल में बताया जाता है कि एक बार माता पार्वती और भगवान शिव भी दुविधा में फंसे हुए थे.
दोनों इस बात का निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि पहले शादी गणेश की हो या कार्तिकेय की, इसको लेकर दोनों बहुत ही चिंतित थे. फिर दोनों ने मिलकर एक प्रतियोगिता आयोजित की और इस प्रतियोगिता के आधार पर जो भी सबसे पहले संपूर्ण धरती के चक्कर लगाएगा. उस आधार पर उसकी शादी पहले होगी. माता पार्वती उनसे पूर्णिमा के दिन मिलीं. वहीं भगवान शिव उनसे अमावस्या के दिन मिलने पहुंचे थे. इस तरह मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाकालेश्वर भारत का तीसरा बड़ा प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है. ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. यहां की भस्मारती भी विश्व प्रसिद्ध है. यहां के लोगों का मानना है कि यह उज्जैन की रक्षा करता है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में नर्मदा किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थित है. इसके दर्शन से पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति होती है. यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है. इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है.
यहां पर लोगों को एक अलग ही प्रकार से अच्छा महसूस होता है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक ऐसा स्थान है. जहां पर कुछ लोग अपने अच्छे कार्य के लिए भगवान शिव के ऊपर जल का अभिषेक करते हैं. जिस कारण से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की केदारनाथ नामक चोटी पर स्थित है. हिमालय की गोद में अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर स्थित है. यहीं नर और नारायण की तपस्थली है. उन्हीं की प्रार्थना पर शिव ने यहां अपना वास स्वीकार किया था. केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है. यहां पर लोग भगवान शिव से मनोकामनाएं मांगते हैं.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित माना जाता है. इस मंदिर के पास से भीमा नाम की नदी बहती है. यही कारण है कि इसका नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ा है. साथ ही यहां शिवलिंग काफी मोटा है. इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर के दर्शन से सातों जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं.
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: यह शिवलिंग काशी में स्थित है. बताया जाता है कि हिमालय को छोड़कर भगवान शिव ने यहीं का स्थायी निवास बनाया था. ऐसा कहा गया है कि प्रलय काल का इस नगरी में कोई असर नहीं पड़ता. इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 30 किमी पश्चिम में गोदावरी नदी के करीब स्थित है. गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना है. इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है. इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है. भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है.
बैजनाथ ज्योतिर्लिंग: बिहार के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में यह शिवलिंग है. बताया जाता है कि रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जा रहा था. लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए.
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग: यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरमपुरं नामक स्थान में स्थित है. बताया जाता है कि लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी. भगवान श्रीराम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: गुजरात में द्वारकापुरी से 17 मील दूर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है. कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है. बताया जाता है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है. उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
घृत्नेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से 12 मील दूर बेरुल गांव में इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई थी. इसे घृसणेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. और साथ ही यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं.
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