नई दिल्ली: अयोध्या में 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) होने वाली है. इसके लिए अयोध्या मेें पूरे जोरों शोरों से तैयारियां चल रही हैं. इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूजा पद्धति में बदलाव होने वाला है. रामलला के मुख्य पुजारी […]
नई दिल्ली: अयोध्या में 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) होने वाली है. इसके लिए अयोध्या मेें पूरे जोरों शोरों से तैयारियां चल रही हैं. इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूजा पद्धति में बदलाव होने वाला है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि अब माता सीता और भगवान राम की एक साथ वाली स्तुति नहीं होगी.
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि अब देवी सीता और भगवान राम की एक साथ वाली स्तुति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि राम मंदिर में प्रभु श्रीराम बालरूप में होंगे इसलिए अब सीता-राम की साथ वाली स्तुति नहीं होगी. आचार्य ने बताया कि अब भगवान राम के साथ उनके तीनों भाई, तीन माता, सरयू मैया और अयोध्या नाथ की स्तुति होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पूजा पद्धति में बदलाव की पुस्तिका सभी पुजारियों को भेजी गई है.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) को लेकर पूरे अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. बुधवार को अयोध्या के मोहबरा बाजार में माता सीता का एक बड़ा सा ‘कंगन’ स्थापित किया गया है. प्रवेश द्वार भी तैयार किए जा रहे हैं. वहीं, इस बीच राम मंदिर के उद्घाटन में चारों शंकराचार्यों के आने को लेकर संशय बना हुआ है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि सनातन धर्म के नियमों का उल्लघंन किया जा रहा है और वह शास्त्रों के विरुद्ध नहीं जा सकते.
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