नई दिल्ली: यूपी के अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर देशभर में तैयारियां जोरों पर हैं। देशभर से साधु-संतों और रामभक्तों(Ram Mandir Inauguration) का अयोध्या पहुंचना जारी है। 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला सुमेरू पर्वत पर विराजमान होंगे। ये पर्वत नवरत्नों से तैयार किया गया है। […]
नई दिल्ली: यूपी के अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर देशभर में तैयारियां जोरों पर हैं। देशभर से साधु-संतों और रामभक्तों(Ram Mandir Inauguration) का अयोध्या पहुंचना जारी है। 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला सुमेरू पर्वत पर विराजमान होंगे। ये पर्वत नवरत्नों से तैयार किया गया है। इस पर्वत को काशी के कुशल कारीगरों ने तैयार किया है।
सुमेरू पर्वत के निर्माण में हीरा, मूंगा, पन्ना, नीलम, मोती, पुखराज, रूबी, गोमेद के साथ-साथ लहसुनिया और सोने का प्रयोग किया गया है। इसके साथ ही काशी से सप्तमृतिका(Ram Mandir Inauguration) और सप्तधान्य भी अयोध्या भेजी गई है।
सूत्रों के अनुसार, सुमेरू पर्वत में 2 कैरेट के ऊपर का हीरा उपयोग किया गया है। वहीं, सप्तमृतिका में काशी के देवालयों, गौशालय, वेश्यालय, अश्वालय, यज्ञाशाला, गंगा और खेतों की मिट्टी भेजी गई है, जबकि सप्तधान्य में जौ, कंगनी, चना, तिल, चावल, मूंग और गेहूं को शामिल किया गया है।
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार सुमेरू पर्वत को मेरू पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्वत को सभी आध्यात्मिक,भौतिक और ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है। सुमेरू पर्वत उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित है। इस पर्वत की ऊंचाई लगभग 6 हजार 350 मीटर बताई जाती है। वहीं धर्मग्रंथों में इस पर्वत को अलौकिक पर्वत की संज्ञा दी गई है। इसे भगवान ब्रह्मा समेत समस्त देवी-देवताओं का स्थान भी कहा जाता है। बता दें कि पौराणिक कहानियों और दस्तावेजों में मेरू पर्वत का जिक्र एक ऐसे पर्वत के रूप में मिलता है जो सोने के समान चमकीला सुनहरे रंग का है।