UP By-Election: इस बार उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव ने दिलचस्प मोड़ लिया. जहां एकतरफ बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनावों में राज्य की 62 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी तो वहीं इस लोकसभा चुनाव में 33 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा भी गंवा दिया, और अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी 37 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई लोगों ने इस हार का जिम्मेदार ठहराया.
अब लोकसभा चुनाव हुए कुछ समय बीत चुका है, लेकिन इसकी चर्चा अभी भी गाहे-बगाहे सुनने को मिल ही जाती है. योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी की आलाकमान यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनावों को लेकर बेहद गंभीर दिखाई दे रही है. हाल ही में बीजेपी के कई मंत्रियों को यूपी उपचुनावों की ड्यूटी में तैनात किया गया है, वो भी तब जब चुनाव आयोग ने अबतक चुनाव की तारीखों का ऐलान तक नही किया है.
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा विधानसभा सीटों पर जल्द ही चुनाव होने वाले हैं. इन 10 सीटों में 5 सपा की, 3 भाजपा, 1 अपना दल और 1 रालोद की विधानसभा सीटें खाली हुई हैं.
मिल्कीपुर- सपा
करहल- सपा
कुंदरकी- सपा
कटेहरी- सपा
सीसामऊ-सपा
खैर- भाजपा
गाजियाबाद- भाजपा
फूलपुर- भाजपा
मीरापुर-रालोद
मंझवा- अपना दल
यह आंकलन काफी हद तक साल 2024 में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर कर रहे हैं. जिससे एक अनुमान लगाया गया है कि लोकसभा चुनाव में होने वाले उपचुनाव सीट पर किस पार्टी को कितने वोट मिले थे.
हाल ही में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अलीगढ़ और फूलपुर सीट पर जीत दर्ज की है लेकिन जिस पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है कि अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा वोट सपा के पक्ष में पड़े थे. ऐसा ही कुछ हाल फूलपुर लोकसभा सीट पर भी रहा जहां फूलपुर सदर की विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी को भाजपा प्रत्याशी से अधिक वोट मिले थे. फूलपुर लोकसभा सीट पर भी भाजपा सिर्फ 4 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीती थी. हालांकि भाजपा की गाजियाबाद सीट पर उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में एकतरफा चुनाव होगा जहां बीजेपी के आसपास भी सपा नजर नही आएगी.
समाजवादी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी बात ये रही कि चुनाव में भाजपा जो लोकसभा सीट जीती भी है उसकी खाली हुई विधानसभा सीट पर सपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा, लेकिन सपा की खाली हुई विधानसभा सीटों पर भी लोकसभा चुनाव में उसने भाजपा प्रत्याशी कहीं ज्यादा वोट हासिल किए थे. उदाहरण के लिए- फैजाबाद की मिल्कीपुर सीट से विधायक अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हो गई है, लेकिन लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से तकरीबन 17 हजार वोट बीजेपी प्रत्याशी से अवधेश प्रसाद को अधिक मिले थे. ऐसा ही रिजल्ट मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा का भी है, जहां सपा को बीजेपी से तकरीबन 15 हजार वोट अधिक मिले थे. अखिलेश यादव की करहल सीट भी उनके सांसद बनने के बाद खाली हो गई, लेकिन इस सीट पर सपा को हराना बीजेपी के लिए बहुत मुश्किल है. पिछले कई सालों का इतिहास देखकर लग रहा है कि ये सीट सपा ही जीतेगी, और उम्मीदवार तेज प्रताप यादव हो सकते हैं. इसके अलावा कटेहरी से पूर्व विधायक लालजी वर्मा को सांसद बनाने के लिए इस सीट पर विपक्षी उम्मीदवार से अधिक वोट मिले थे. मतलब साफ है कि यदि लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाए तो सपा अपनी सभी पांच सीटों को रिटेन कर लेगी और साथ ही अन्य दलों की सीटों में भी सेंध लगाने को तैयार दिख रही है.
ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रीय लोक दल मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट को आसानी से रिटेन कर लेगी, हालांकि साल 2022 में जब रालोद ने यह सीट जीती थी तब सपा कार्यकर्ताओं ने भी उनके लिए पसीना बहाया था. इसबार दोनों पार्टियों सपा-रालोद का आमना-सामना होना है.इसके अलावा एनडीए गठबंधन की मंझवा विधानसभा सीट पर भी कांटे टक्कर देखने को मिल सकती है. ये टक्कर सपा और अपना दल के बीच होगी, क्योंकि इस बार अपना दल के पारंपरिक वोटर पार्टी से नाराज दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भी इस सीट के कुर्मी वोटरों ने अपना दल से बगावत कर सपा के पक्ष में वोट किया था.
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