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यशवंत सिन्हा: वाजपेयी के खास, आडवाणी के ‘दिवाली गिफ्ट’, कैसे बने भाजपा के दुश्मन?

नई दिल्ली, देश के 16वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरु गई है, आज शाम तक ये साफ़ हो जाएगा कि कौन देश का 16वा राष्ट्रपति होगा. मतगणना का दौर जारी है, एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत लगभग तय मानी जा रही है. नतीजे शाम तक आ जाएंगे. वोटो की […]

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यशवंत सिन्हा: वाजपेयी के खास, आडवाणी के ‘दिवाली गिफ्ट’, कैसे बने भाजपा के दुश्मन?
  • July 21, 2022 3:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, देश के 16वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरु गई है, आज शाम तक ये साफ़ हो जाएगा कि कौन देश का 16वा राष्ट्रपति होगा. मतगणना का दौर जारी है, एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत लगभग तय मानी जा रही है. नतीजे शाम तक आ जाएंगे. वोटो की गिनती कमरा नंबर 63 में हो रही है जहां सांसदों के वोट डालने की व्यवस्था की गई थी, इसी कमरे को स्ट्रॉन्ग रूम में बदल कर मतपेटियां रखी गई हैं.

यहां पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ामात किए गए हैं. वोटों की गिनती में द्रौपदी मुर्मू को बढ़त मिलती नज़र आ रही है. जहाँ एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को अब तक 540 और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 208 मिले हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे हैं, फिर यशवंत सिन्हा आखिर कैसे अपनी ही पार्टी के खिलाफ हो गए? आइए आज आपको बताते हैं:

क्यों कहा था दिवाली गिफ्ट

साल 1993 की बात है. यशवंत सिन्हा भाजपा में शामिल होने वाले थे. तब लाल कृष्ण आडवाणी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था सिन्हा पार्टी के लिए दिवाली गिफ्ट की तरह हैं, आज की तारीख में वही दिवाली गिफ्ट विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार है, यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत खास रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार उन्हें बहुत पसंद नहीं आई. उन्होंने 2018 में ये कहते हुए पार्टी छोड़ दी थी कि आज पार्टी का जो स्वरूप है वह लोकतंत्र के लिए एक खतरा है.

IAS के रूप में की करियर की शुरुआत

एक आईएएस के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले यशवंत सिन्हा ने 1984 में सर्विस से इस्तीफा दे दिया थी इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा था और जनता दल से शुरुआत की थी. भाजपा से होते हुए सिन्हा टीएमसी में आ गए. लेकिन जहां भी रहे मुखर होकर बोलते रहे. पार्टी में रहते हुए उन्होंने कहा था, आज की भाजपा वह भाजपा नहीं रह गई है जो अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के जमाने में थी.

क्यों कहे गए ‘मिस्टर यू-टर्न’

चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकारों में यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री रहे हैं. उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए जाना जाता है. जहां यशवंत सिन्हा ने ही वित्त मत्री रहते संसद में बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे की जगह दिन में 11 बजे किया था. वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार के कुछ नीतिगत फैसलों में भी बदलाव किया था. यही कारण है कि उन्हें ‘मिस्टर यू-टर्न’ भी कहा जाता है.

 

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