रामपुर। लोकसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी प्रत्याशी की घोषणा हो जाने के बाद अब सवाल उठ रहा है कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा। क्या उन्हें कैबिनेट की जगह कोई और जिम्मेदारी दी जाएगी? भाजपा ने रामपुर उपचुनाव के लिए घनश्याम लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया है। […]
रामपुर। लोकसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी प्रत्याशी की घोषणा हो जाने के बाद अब सवाल उठ रहा है कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा। क्या उन्हें कैबिनेट की जगह कोई और जिम्मेदारी दी जाएगी?
भाजपा ने रामपुर उपचुनाव के लिए घनश्याम लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया है। अब तक माना जा रहा था कि राज्यसभा में टिकट से वंचित केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को भी रामपुर में उतारा जा सकता है। हालांकि नकवी ने इससे इनकार किया। नकवी मान रहे थे कि लोकसभा चुनाव की घोषणा ढाई साल बाद ही होगी, इसलिए वह इतने कम समय के लिए मैदान में नहीं उतरना चाहते थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर वह किसी कारण से उपचुनाव में हार जाते तो उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े हो जाते। इसलिए वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। अब जब जुलाई में राज्यसभा के लिए उनका कार्यकाल जल्द ही समाप्त हो जाएगा, तो आगे उनका राजनीतिक रास्ता क्या होगा। अगर वह किसी भी सदन का सदस्य नहीं है तो वह छह महीने से ज्यादा कैबिनेट में नहीं रह पाएंगे।
मुख्तार की नजदीकियों के हिसाब से पार्टी उन्हें उपराष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बना सकती है। इस तरह उन्हें भाजपा के अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में प्रचारित किया जाएगा। मुख्तार अब्बास नकवी तीन बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने 1998, 1999 और 2009 में तीन बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन इनमें से पहले चुनाव में ही जीत हासिल की। उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। उन्हें जीत का इनाम देते हुए केंद्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया।
जब मुख्तार अब्बास नकवी को पहली बार रामपुर से टिकट दिया गया, तो भाजपा के पदाधिकारियों को भी उनके परिचित नहीं थे। लेकिन जब उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की तो यहीं से एक स्थायी रिश्ता कायम हो गया। उन्होंने रामपुर में विकास कार्यों को भी गति दी। आजम के इलाके में भी बीजेपी को जगह बनाई।
रखे हुए है।
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