पटना, क्या केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह राज्यसभा जाएंगे? यह भाजपा पर निर्भर करेगा. नीतीश कुमार की मुस्कान तो कुछ यही कहती है. रविवार को जब कुछ पत्रकारों ने बिहार के सीएम से आरसीपी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने इस सवाल पर मुस्कुरा दिया. उनका यह लहज़ा साफ़ बताता है कि अब यह फैसला उनके […]
पटना, क्या केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह राज्यसभा जाएंगे? यह भाजपा पर निर्भर करेगा. नीतीश कुमार की मुस्कान तो कुछ यही कहती है. रविवार को जब कुछ पत्रकारों ने बिहार के सीएम से आरसीपी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने इस सवाल पर मुस्कुरा दिया. उनका यह लहज़ा साफ़ बताता है कि अब यह फैसला उनके हाथ में नहीं है. अब आरसीपी का भविष्य बीजेपी ही तय करेगी। वहीं उनका दिल्ली जाना और नहीं जाना निश्चित करेगी.
बिहार में राज्यसभा की पांच सीटों का चुनाव भी जल्द होने वाला है. संख्याबल कहता है कि इन पांच गद्दियों परआरजेडी और बीजेपी को 2-2 और जेडीयू का एक प्रतिनिधि बैठेगा. जहाँ जेडीयू ने पहले ही अनिल हेगड़े को अपना उम्मीदवार बना दिया है. ऐसे में आरसीपी का राजयसभा जाना तब ही तय होगा जब बीजेपी और जेडीयू में उन्हें उम्मीदवार बनाने पर सहमति होगी. हालांकि अब तक तो भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने के लिए जेडीयू ऑफिस पहुंचे थे. मुलाकात के बाद जब सीएम बाहर आये तो पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया. इस बीच सीएम से पत्रकारों ने जब सवाल किया कि आरसीपी राज्यसभा जाएंगे? तो इस सवाल के जवाब से पहले तो नीतीश कुमार मुस्कुराए, फिर उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया. उन्होंने कहा, चिंता मत कीजिये, समय आने पर सब बता देंगे. अब सीएम नीतीश के इस समय का क्या मतलब है? इसे समझने के लिए सबसे पहले बिहार के संख्याबल को समझना होगा.
संख्या बल के हिसाब से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को राज्यसभा की एक ही सीट मिल पाएगी. अगर नीतीश आरसीपी को राजयसभा भेजना चाहते हैं तो उन्हें अपने कोटे से आरसीपी को उम्मीदवार बनाना होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. नीतीश कुमार की पार्टी से आरसीपी की जगह हेगड़े को उम्मीदवार बनाकर पेंच फंसा दिया गया है. अब इस पूरे खेल की बाजी बीजेपी के पास है. अब बीजेपी तय करेगी की क्या गेंद मैदान छोड़ेगी या गोल की टोकरी में जाएगी. इस मामले में अगर भाजपा आरसीपी के नाम पर मुहर नहीं लगाती है तो उनकी राजयसभा के साथ-साथ मंत्री पद से भी छुट्टी हो जाएगी. हालांकि अभी तक इस खेल में बीजेपी का दांव निश्चित नहीं हुआ है. भाजपा इस समय धर्मसंकट में है कि अपने सदस्यों को राज्यसभा भेजे या एक सीट का नुकसान झेले.
नीतीश के इस सियासी दांव के बाद अब सवाल यह भी है कि क्या बिहार के सीएम आरसीपी से नाराज चल रहे हैं? या उन्होंने आरसीपी को आगे कर कोई नया सियासी दांव लगाया है? जानकारी के अनुसार यही सच है कि नीतीश कुमार आरसीपी से नाराज चल रहे हैं. नीतीश आरसीपी कहीं न कहीं आरसीपी और भाजपा के बीच बढ़ती नज़दीकियों को लेकर भी नाखुश हैं. यही कारण है कि नीतीश कुमार ने आरसीपी को नहीं बल्कि हेगड़े को उम्मीदवार बनाया.
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