चंडीगढ़: पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह चहल बर्खास्तगी अब राज्य में राजनीति की बड़ी वजहों में से एक बन गई है।चंडीगढ़ से आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह चहल की बर्खास्तगी पंजाब में राजनीति की बड़ी वजहों में से एक बन गई है। आप प्रवक्ता ने केंद्र सरकार के इस कदम को पंजाब […]
चंडीगढ़: पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह चहल बर्खास्तगी अब राज्य में राजनीति की बड़ी वजहों में से एक बन गई है।चंडीगढ़ से आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह चहल की बर्खास्तगी पंजाब में राजनीति की बड़ी वजहों में से एक बन गई है। आप प्रवक्ता ने केंद्र सरकार के इस कदम को पंजाब के हक पर डाका बताते हुए केंद्र सरकार पर सवाल उठाये हैं. ऐसे में पंजाब के सीएम भगवंत मान ने बलवारी लाल पुरोहित को पत्र लिखकर चंडीगढ़ के राज्यपाल और प्रशासक पर आपत्ति जताई. आइए आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है और क्यों ये बनती जा रही है राजनीति की वजह.
आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह चहल का तबादला पंजाब में राजनीति की वजह बन गया है। दरअसल कुलदीप सिंह चंडीगढ़ SSP के पद पर कार्यरत थे, उनका कार्यकाल 2023 तक था, लेकिन अचानक 13 दिसंबर को उन्हें रिलीविंग का आदेश दिया गया और फिर उन्हें पंजाब कैडर में भेज दिया गया. जहां से उन्हें फिर केंद्र शासित प्रदेश भेज दिया गया. इसमें गौरतलब है कि चंडीगढ़ SSP को उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले हटाए जाने का यह पहला मामला निकलकर सामने आया है। इसके बजाय, हरियाणा कैडर की IPS अधिकारी मनीषा चौधरी को एक अतिरिक्त कार्यभार व जिम्मेदारियां दी गई है.
मामला तो आप समझ गए होंगे लेकिन अब सवाल ये उठता है कि इसमें राजनीति क्यों हो रही है. आइये आपको बताते हैं. दरअसल, चंडीगढ़ में पंजाब कैडर का एक IPS अधिकारी हमेशा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कानून व्यवस्था का पद संभालता है। SSP ट्रैफिक चार्ज पोस्ट हरियाणा कैडर का है, लेकिन आनन-फानन में कुलदीप सिंह चहल का तबादला कर SSP चंडीगढ़ का अतिरिक्त चार्ज भी मनीषा चौधरी को सौंप दिया गया है. अब पंजाब इसे अपने अधिकारों के नुकसान के तौर पर देख रहा है।
कुलदीप सिंह चहल को एसएसपी चंडीगढ़ से अचानक हटाए जाने को लेकर पंजाब के सीएम भगवंत मान ने चंडीगढ़ के राज्यपाल व प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित को पत्र लिखा है. आपने उसमें लिखा था कि जब परंपरागत रूप से पंजाब के एक कैडर अधिकारी को एसएसपी चंडीगढ़ पोस्ट पर तैनात किया जाता है, तो इस बार ऐसा क्यों किया गया? भगवंत मान ने फैसले पर हैरानी जताते हुए इसे पंजाब और चंडीगढ़ के बीच संतुलन बिगाड़ने वाला बताया। पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर यह फैसला किया गया होता तो पहले पंजाब के आईपीएस अधिकारियों के एक समूह को बुलाया जाना चाहिए था. उधर, आम आदमी पंजाब पार्टी के प्रवक्ता मालविंदर कांग ने कहा कि यह आदेश उन्हें पंजाब के अधिकार में करने जैसा है.
पंजाब में पिछले आठ महीने में तीसरी बार राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति है. इससे पहले, विवादास्पद स्थिति तब उत्पन्न हुई जब पंजाब सरकार ने राज्यपाल की अनुमति के बिना पीयू और पीएयू के डिप्टी चांसलर नियुक्त किए। इसी तरह, एक विवादास्पद स्थिति उत्पन्न हुई जब विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया गया. राज्यपाल ने सत्र बुलाने की अनुमति को भी वापस ले लिया था, लेकिन बाद में सरकार ने सत्र के कामकाज को कारण बताते हुए अनुमति मांगी थी. अब एक बार फिर चंडीगढ़ में एसएसपी पद को लेकर टकराव की स्थिति है।