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बिहार विधान परिषद की 5 सीटों पर कब होंगे चुनाव, अप्रैल में आएँगे नतीजे

पटना: बिहार की विधान परिषद की 5 सीटों के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। चुनाव नोटिस भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया था। बिहार की विधान परिषद में, स्नातक चुनावी शेयर से खाली सीटें और शिक्षक को 31 मार्च को वोट दिया जाएगा। मतदान का समय सुबह आठ बजे […]

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बिहार विधान परिषद की 5 सीटों पर कब होंगे चुनाव, अप्रैल में आएँगे नतीजे
  • February 27, 2023 5:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

पटना: बिहार की विधान परिषद की 5 सीटों के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। चुनाव नोटिस भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया था। बिहार की विधान परिषद में, स्नातक चुनावी शेयर से खाली सीटें और शिक्षक को 31 मार्च को वोट दिया जाएगा। मतदान का समय सुबह आठ बजे से शाम को चार बजे तक होता है। वोटों की गिनती 5 अप्रैल को होगी। इससे पहले 13 मार्च को नामांकन, 14 मार्च को प्रचार की तिथि और 16 मार्च को उम्मीदवारी वापस लेने की तिथि निर्धारित है। बिहार में बिहार विधान परिषद के चार सदस्यों का कार्यकाल 8 मई को समाप्त हो रहा है।

जबकि एक सीट पर उपचुनाव है। यह पद केदार नाथ पाण्डेय के निधन के बाद रिक्त हुआ था। यह सीट सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र है। जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के अवधेश नारायण सिंह, सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के वीरेंद्र नारायण यादव, कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के संजीव कुमार सिंह, गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के संजीव श्याम सिंह शामिल हैं।

 

चुनाव से पहले सक्रिय उम्मीदवार

फैकल्टी और स्नातक कोटे के पाँच पदों के लिए चुनाव से पहले संभावित आवेदक सक्रिय हैं। शिक्षक के चुनावी कोटे से एमएलसी का चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे भाजपा नेता व अभिराम सिंह ने कहा कि शिक्षक प्रतिनिधियों के लिए शिक्षक सिर्फ एक वोट बैंक हैं। शिक्षकों का ग्रेड पाकर प्रतिनिधि बन जाते हैं लेकिन उनके विकास के लिए काम नहीं करते। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज के सबसे सम्मानित सदस्य होते हैं, लेकिन व्यवस्था की विफलता का सबसे बुरा प्रभाव शिक्षक पर पड़ता है।

 

केवल शिक्षक प्रतिनिधियों के लिए वोट बैंक

प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों को शिक्षक सुधार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। लेकिन शिक्षक सिर्फ deputies के लिए वोट का बैंक हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी व्यवस्थाओं को तत्काल समाप्त करते हुए अतिथि शिक्षकों, कर्मचारी शिक्षकों आदि को नियमित करना अति आवश्यक है। तभी शिक्षकों और शिक्षा में सुधार होगा।

 

 

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