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फेयरवेल पर वेंकैया नायडू ने सुनाया किस्सा- “जब पीएम ने कहा था आप उपराष्ट्रपति बनने वाले हैं..”

नई दिल्ली, राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को सोमवार को संसद में विदाई दी गई, इस दौरान पीएम मोदी समेत तमाम नेता भावुक नज़र आए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेंकैया नायडू के लिए विदाई भाषण दिया और नायडू के कार्यकाल को याद किया. पीएम ने कहा कि ये सदन के लिए बहुत […]

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फेयरवेल पर वेंकैया नायडू ने सुनाया किस्सा- “जब पीएम ने कहा था आप उपराष्ट्रपति बनने वाले हैं..”
  • August 8, 2022 9:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को सोमवार को संसद में विदाई दी गई, इस दौरान पीएम मोदी समेत तमाम नेता भावुक नज़र आए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेंकैया नायडू के लिए विदाई भाषण दिया और नायडू के कार्यकाल को याद किया. पीएम ने कहा कि ये सदन के लिए बहुत ही भावुक पल है, इस सदन को नेतृत्व देने की आपकी जिम्मेदारी भले ही पूरी हो रही हो, लेकिन आपके अनुभवों का लाभ भविष्य में हमें लंबे समय तक मिलता रहेगा. वहीं, तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी राजयसभा में नायडू के बचपन का किस्सा सुनाया जिसे सुनकर नायडू अपने आंसू नहीं रोक पाए. वहीं, नायडू ने भी सदन में उस क्षण को याद किया जब पीएम ने उन्हें बताया था कि वे उपराष्ट्रपति बनने वाले हैं.

नायडू ने क्या कहा ?

विदाई कार्यक्रम में वेंकैया नायडू ने एक किस्सा सुनाया, उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी के पैर नहीं छूए हैं. उन्होंने 5 साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी के उस फोन कॉल का भी जिक्र किया, जिसमें पीएम ने उन्हें बताया था कि वे पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति के लिए चुने गए हैं. नायडू ने कहा कि जिस दिन पीएम मोदी ने फोन कर बताया कि मुझे उपराष्ट्रपति के लिए चुना जा रहा है, उस समय मेरी आंखों में आंसू आ गए. ये आंसू सिर्फ इस बात पर आ रहे थे कि मुझे अब अपनी पार्टी छोड़नी पड़ेगी.

नायडू ने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत हमेशा प्रबल होता है, लेकिन विपक्ष को कहना चाहिए और सरकार को उन्हें भी आगे आने के लिए इजाज़त देनी चाहिए. अंततः बहुमत लोकतंत्र में फैसला करता है, मैं पद्म पुरस्कार के बारे में एक बात से खुश हूं कि कैसे सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त लोगों को मान्यता दी. राजनीति में कोई शॉर्ट कट नहीं होता, इसके लिए आपमें धैर्य होना चाहिए और मेहनत करनी चाहिए. लोगों के पास जाओ, उन्हें जागरूक करो और दूसरों की सुनो. तुष्टिकरण किसी का भी नहीं किया जाना चाहिए, सबका सम्मान किया जाना चाहिए.

 

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