महाराष्ट्र की दलित आंदोलन हिंसा से संघ की परेशानी की फौरी वजह क्या है?

यूं तो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ दलित मामलों को लेकर हमेशा ही कदम फूंक फूंक कर रखता आया है, खासकर तब से कुछ और ही ज्यादा संवेदनशील तरीके से, जब बिहार में बीजेपी की हार के पीछे मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गए एक बयान को जिम्मेदार ठहरा दिया गया था. लेकिन पुणे में भीमा कोरा गांव मामले में हुई हिंसा के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने जिस तेजी से बयान जारी किया है, उसकी एक और फौरी वजह है.

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महाराष्ट्र की दलित आंदोलन हिंसा से संघ की परेशानी की फौरी वजह क्या है?

Aanchal Pandey

  • January 3, 2018 6:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

मुंबई: यूं तो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ दलित मामलों को लेकर हमेशा ही कदम फूंक फूंक कर रखता आया है, खासकर तब से कुछ और ही ज्यादा संवेदनशील तरीके से, जब बिहार में बीजेपी की हार के पीछे मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गए एक बयान को जिम्मेदार ठहरा दिया गया था. लेकिन पुणे में भीमा कोरा गांव मामले में हुई हिंसा के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने जिस तेजी से बयान जारी किया है, उसकी एक और फौरी वजह है. दरअसल संघ के कोंकण प्रांत ने महाराष्ट्र और गोवा के बड़े हिस्से में 7 जनवरी को हिंदू चेतना संगम का आयोजन किया है, जिसके जरिए मुंबई से गोवा तक आरएसएस अपनी ताकत का विशाल प्रदर्शन करने जा रहा है और ऐसे में महाराष्ट्र में कुछ भी बवाल होता है, तो उनके कार्यक्रम पर सीधा सीधा असर पड़ सकता है.

यूं तो राष्ट्रीय़ स्वंय सेवक संघ का अब तक का सबसे बड़ा जमावड़ा, यानी 2 लाख 51 हजार कार्यकर्ताओं का 25 फरवरी को मेरठ में होना है लेकिन उससे पहले संघ की ये ताकत आपको दिखेगी हिंदू चेतना संगम में, जो होगा मुंबई से लेकर गोवा तक. यानी 255 जगहों पर ढाई लाख स्वंयसेवक इकट्ठा होंगे। एक जगह इकट्ठा ना होकर एक पूरे प्रांत को भगवा में रंग देने का ये नया संघी आइडिया है. ये कार्यक्रम संघ के कोंकण प्रांत ने आयोजित किया है, संघ ने अपने काम की दृष्टि से पूरे देश को कई भागों में बांट रखा है, महाराष्ट्र में विदर्भ और कोंकण भी उनमें से हैं.

कोंकण प्रांत में महाराष्ट्र के मुंबई और आस पास के इलाके, थाने, कल्याण, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरि, सिंधुदुर्ग आदि जिलों से लेकर पूरा गोवा भी आता है। ऐसे में मुंबई से लेकर गोवा तक हिंदू चेतना संगम के कार्यक्रम करीब 255 जगहों पर होंगे. यानी हर तालुका या तहसील में होगा. लक्ष्य रखा गया है कि हर जगह पर कम से कम 1000 लोग तो जमा हों. सो ढाई लाख स्वंयसेवकों तक की संख्या अनुमानित की जा रही है. इस महीने के शुरू तक 60,000 लोगों का तो ऑनलाइन ही रजिस्ट्रेशन कर दिया गया था.
इस कार्यक्रम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने ना केवल एक एप्प बनाया है बल्कि फेसबुक पेज और ब्हाट्एप्प के जरिए भी रजिस्ट्रेशन की अपील की जा रही है. पिछले साल यानी 2016 में महाराष्ट्र के पुणे में ही संघ ने शिव शक्ति संगम आयोजित किया था, जिसमें 85000 संघ स्वंयसेवक और करीब 50000 आम व्यक्तियों ने भाग लिया था. तभी से कोंकण प्रांत के स्वयंसेवकों ने अपने यहां भी इसी तरह का कार्यक्रम करने की ठान ली थी.

प्रमोशन का तरीका अब काफी आधुनिक हो चला है. एप्प और फेसबुक के जरिए तो ये हो ही रहा है, कोंकण की संघ इकाई ने हिंदू चेतना संगम का एक थीम सोंग भी कम्पोज करवाया है, जिसे वोडाफोन सब्सक्राइबर 5379980859 को डायल करके डाउनलोड कर सकते हैं तो आइडिया के सब्सक्राइबर पर 567899955371 डायल कर सकते हैं. इसी तरह हिंदू चेतना संगम का एप्प गूगल प्ले पर https://play.google.com/store/apps/details?id=reinlabs.com.hinduchetanasangam&hl=en लिंक को क्लिक करके डाउनलोड किया जा सकता है.
लेकिन इस सारे आयोजन पर दलित आंदोलन के चलते संकट के बादल गहराने लगे हैं. एक तो बिग़ड़ती कानून व्यवस्था का भी डर है तो दूसरी तरफ ये भी अंदेशा है कि इस आयोजन से जुड़े दलित संघ कार्यकर्ताओं का सहयोग मिलने के भी आसार कम हो चले हैं. ऐसे में फौरन संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि

The recent incidents at Koregaon, Pune and various other places in Maharashtra are very sad and painful. RSS strongly condemns such violence and feels it is despicable. Those who are found guilty should be punished as per law. Some forces are trying to create hatred and animosity among communities. The people should not fall prey to such nefarious tactics. RSS appeals to the public to maintain unity and harmony in the society, which have always been the top priority for RSS.।

लेकिन संघ की तरफ से उनके ऑफीशियल ट्विटर एकाउंट से कल से दो बार ये बयान शेयर हो चुका है, ऐसे में ये सवाल उठता है कि जिस ट्विटर एकाउंट से कभी कभी ही कोई ट्वीट होता है, उससे अचानक एक ही बयान दोल बार जारी करने की क्या जरुरत थी। पिछले 20 नवम्बर से इस एकाउंट से कोई ट्वीट नहीं हुई थी.

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