Pradhan Mantri Adarsh Gram Yojana: प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना 50 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति (एससी) आबादी वाले गांवों के विकास के लिए साल 2009-10 में शुरू की गई थी. यह एससी बहुल गांवों का समन्वित विकास कार्यक्रम है जिसमें केंद्र और राज्यों की प्रासंगिक योजनाओं के क्रियान्वयन पर जोर दिया जाता है. PMAGY के तहत अनुसूचित जाति बहुल हर गांवों में विकास कार्यों के लिए 20 लाख रुपये दिए जाते हैं जिसे बढ़ाकर 25 लाख रुपये तक किया जा सकता है. यहां जानिए प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना से जुड़ीं सभी अहम जानकारियां.
नई दिल्ली: अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के विकास के लिए साल 2009-10 में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी जिसे साल 2014 में आई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी बरकरार रखा और इसके दायरे को भी बढ़ा दिया. इस योजना के तहत एससी-एसटी समुदाय में व्याप्त गरीबी मिटाने के साथ ही उनका रहन-सहन, स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने और उन्हें मुख्य धारा में शामिल करने की कोशिश की गई थी जिसका काफी लाभ भी देखने को मिला है. नाम के अनुसार ही एससी-एसटी समुदाय बहुुल गांवों को आदर्श गांव बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी.
देश में लगभग 44,000 गांवों में 50 फीसदी से ज्यादा आबादी एससी-एसटी समुदाय के लोगों की है. इन गांवों के एकीकृत विकास के लिए प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना को प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया था. शुरुआत में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना को 5 राज्यों यानी बिहार, हिमाचल प्रदेश, असम, तमिलनाडु और राजस्थान के 1000 गांवों में लागू किया गया और इसके लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. इस योजना का काफी लाभ देखने को मिला.
साल 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को इस योजना में संशोधित करते हुए इसका विस्तार कर दिया और बिहार, हिमाचल प्रदेश, असम, तमिलनाडु और राजस्थान के साथ ही उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, उत्तराखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हरियाणा को भी इसमें शामिल कर लिया. इन राज्यों के 1500 एससी-एसटी बहुल गांवों में लाखों लोग प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना का लाभ उठा रहे हैं और अपना लाइफस्टाइल बेहतर कर रहे हैं.
यह एससी-एसटी बहुल गांवों का समन्वित विकास कार्यक्रम है जिसमें केंद्र और राज्य की प्रासंगिक योजनाओं के क्रियान्वयन पर जोर दिया जाता है. इस योजना में ऐसे हर गांवों को 20 लाख रुपये दिए जाते हैं. जरूरत पड़ने पर इस राशि को 5 लाख रुपये और बढ़ाया जा सकता है.
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के लक्ष्य
इस योजना का मुख्य लक्ष्य गरीबी उन्मूलन है. इस योजना की शुरुआत के समय सरकार ने लक्ष्य रखा था कि एससी-एसटी समूदाय में व्याप्त गरीबी को 3 साल के अंदर 50 फीसदी तक कम करना है. इस योजना के तहत इन समुदायों के बच्चों की शिक्षा के साथ ही सार्वभौमिक प्रौढ़ साक्षरता पर भी जोर दिया गया. इस योजना में जरूरतमंद परिवारों के लिए आवासों का आवंटन, साफ पेयजल की आपूर्ति, बच्चों का पूर्ण टीकाकरण, स्कूल में बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करना, गर्भवती महिलाओं के लिए 100 फीसदी संस्थागत प्रसव की सुविधा, शिशु और मातृ मृत्यू दर कम करना, एससी-एसटी बहुल गांवों को पक्की सड़क से जोड़ना, इन गांवों में मृत्यू और जन्म का 100 फीसदी पंजीकरण, बाल विवाह और बाल श्रम को पूरी तरह खत्म करना और शराब एवं नशीले पदार्थों के सार्वजनिक उपभोग पर रोक लगाने जैसी सुविधाओं पर ध्यान दिया गया और इसका सकारात्मक असर देखने को मिला.
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