What are Electoral Bonds: क्या हैं चुनावी बॉन्ड और राजनीतिक पार्टियों को क्यों है इनकी जरूरत

What are Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को राहत देते हुए चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. लेकिन कोर्ट ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को चुनावी बॉन्ड की जानकारी सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को देनी होगी. लेकिन ये चुनावी बॉन्ड या इलेक्टोरल बॉन्ड्स होते क्या हैं और इनका फायदा क्या होता है,समझिए.

Advertisement
What are Electoral Bonds: क्या हैं चुनावी बॉन्ड और राजनीतिक पार्टियों को क्यों है इनकी जरूरत

Aanchal Pandey

  • April 12, 2019 11:41 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक नहीं लगाई. कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को आदेश दिया कि उन्हें एक सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी.

अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों से कहा कि वे चुनावी बॉन्ड्स के जरिए चंदा देने वाले लोगों, उनसे मिले चंदे, हर बॉन्ड पर मिली पेमेंट इत्यादि की जानकारी चुनाव आयोग को 30 मई तक दें. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये चुनावी बॉन्ड या इलेक्टोरल बॉन्ड्स होते क्या हैं? आज आप आपको इसी से वाकिफ कराने जा रहे हैं.

केंद्र सरकार ने 1000 रुपये, 10 हजार रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं ताकि राजनीतिक दलों को साल 2018 में मिले चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाई जा सके. इन बॉन्ड्स को भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीदा जा सकता है.

क्या होते हैं चुनावी बॉन्ड:
ये ऐसे बॉन्ड होते हैं, जिन पर आम नोटों की तरह उसका मूल्य या वैल्यू लिखी होती है. इन बॉन्ड्स का इस्तेमाल व्यक्ति, संस्थान या ऑर्गनाइजेशन राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए कर सकती हैं. मोदी सरकार ने साल 2017-18 के बजट में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की घोषणा की थी. जनवरी 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में चुनावी बॉन्ड के बारे में गाइडलाइंस जारी की थीं.


इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़ी अहम बातें:

  1. भारत का कोई भी नागरिक, संस्थान या कंपनी राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड खरीद सकती हैं.
  2. रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951के तहत रजिस्टर्ड जिन पार्टियों को हालिया लोकसभा चुनावों में 1 प्रतिशत वोट मिला है, वे चुनावी बॉन्ड के तहत फंड पाने की हकदार हैं.
  3. चंदा देने वाले हर शख्स को बैंक को अपनी केवाईसी जानकारी देनी होगी.
  4. चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले शख्स की जानकारी बैंक निजी रखेंगे.
  5. खरीद की तारीख से लेकर 15 दिनों तक चुनावी बॉन्ड वैध रहेंगे.
  6. भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ही चुनावी बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं.
  7.  चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की पूरी जानकारी बैंक के पास होगी.
  8. हर तिमाही की शुरुआत के 10 दिनों में बॉन्ड खरीदने के लिए उपलब्ध रहेंगे. लोकसभा चुनाव के साल में 30 दिन अतिरिक्त दिए जाएंगे.
  9. बॉन्ड्स हर साल जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में खरीदे जा सकते हैं.
  10. राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग को यह बताना होगा कि उन्हें चुनावी बॉन्ड्स से कितना पैसा मिला.

Supreme Court on Electoral Bonds: केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, चुनावी बॉन्ड पर कोई रोक नहीं

7th Pay Commission: खुशखबरी के इंताजर में बैठे सरकारी कर्मचारियों को नहीं मिला फायदा, पार्टियों के लोकसभा चुनाव घोषणापत्रों में कोई वादा भी नहीं

Tags

Advertisement