नई दिल्ली, आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच लिया है. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति है, जबकि भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. दिन भर वोटों की गिनती की गई, जिसमें द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल की. रिटर्निंग अफसर […]
नई दिल्ली, आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच लिया है. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति है, जबकि भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. दिन भर वोटों की गिनती की गई, जिसमें द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल की. रिटर्निंग अफसर ने बताया कि कुल 4754 वोट पड़े थे, जिसमें से 4701 वोट मान्य थे जबकि 53 वोट अवैध थे, इसमें द्रौपदी मुर्मू को 2824 वोट मिले हैं जिनका मूल्य 6,76,803 है, जबकि यशवंत सिन्हा को 1,877 वोट मिले हैं, जिनका मूल्य 3,80,177 है.
Presidential Election concluded with declaration of result…4754 votes polled, out of which 4701 valid & 53 invalid…The quota (for a candidate to be elected the President) was 5,28,491. #DroupadiMurmu secured 2824 first preference votes-value of which is 6,76,803: Secry Gen,RS pic.twitter.com/Tg0pbuHbGu
— ANI (@ANI) July 21, 2022
कैसा होगा अगर हम आपसे कहें कि भारत का राष्ट्रपति भी आप भी यानी जनता चुनती है? आपके मन में यह सवाल आएगा कि राष्ट्रपति के लिए किसी तरह के कोई चुनाव नहीं करवाए जाते फिर ऐसा कैसे संभव है. दरअसल राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया में भारत के नागरिक अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेते हैं. राष्ट्रपति कौन होगा इसका फैसला जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि (विधायक और सांसदों) द्वारा ही किया जाता है. संविधान में इस बात का ज़िक्र है कि भारत का राष्ट्रपति कैसे चुना जाएगा. इस संबंध में अनुच्छेद 45 कहता है कि राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज यानी निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाएगा. बता दें, निर्वाचन मंडल का गठन राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति दोनों के चुनाव के लिए किया जाता है. जहां इस मंडल के सदस्य लोकसभा व राज्यसभा के सांसद तथा विभिन्न राज्यों की विधानसभा के विधायक होते हैं जो राष्ट्रपति चुनाव से पहले विधायक बने हो. ये सब सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान करते हैं. जहां इनका प्रतिनिधित्व अनुपातिक होता है. इस प्रक्रिया को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं जो किसी आम चुनाव से अलग है. आइये आपको समझाते हैं की आखिर यह सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम क्या है?
वह सभी सदस्य जो राष्ट्रपति चुनाव में अपना मत देने वाले हैं वो इस प्रक्रिया के द्वारा ही अपना मत बताते हैं. इस प्रक्रिया के अंतर्गत काफी ख़ास तरीके से वोटिंग की जाती है. जहां प्रत्येक सदस्य चुनाव में हिस्सा ले रहे तमाम उम्मीदवारों में से अपनी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद बैलट पेपर में लिखकर बता देते हैं. अब तीन स्तरों पर सभी उम्मीदवारों को मत मिलते हैं. जहां से पहली पसंद वाली सूची में यदि कोई उम्मीदवार बहुमत हासिल करता है तो वह जीत जाता है और अगर ऐसा नहीं भो पता तो उन उम्मीदवारों को दूसरी पसंद के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है जिन्हें अधिक वोट हासिल हुए हैं. और सबसे कम मत मिलने वाले को इस प्रथम सूची से निकाल दिया जाता है. इस प्रकार अंत में सबसे अधिक वोट पाने वाले को राष्ट्रपति के लिए आगे किया जाता है. इसी प्रक्रिया को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं.
राष्ट्रपति को चुनने की इस प्रक्रिया में केवल वह विधायक और सांसद भाग लेते हैं जो आम चुनावों में जनमत द्वारा चुनकर आते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसे भी सदस्य विधानसभा और संसद का भाग होते हैं जिन्हें जनता नहीं चुनती? आपको बता दें, राज्य सभा में कुल 12 सदस्य मनोनीत होते हैं. यह 12 सांसद कला, साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान और सामाजिक क्षेत्र से आते हैं जिनका चुनाव खुद राष्ट्रपति करता है. इसलिए यह मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेते.
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