नई दिल्लीः विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) संगठन एक बार फिर चर्चा में है. मिली जानकारी के अनुसार, 6 माह के भीतर वीएचपी के अध्यक्ष पद पर चुनाव कराया जाएगा. पहली बार अध्यक्ष पद के लिए वीएचपी में मतदान होगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) चाहता है कि वीएचपी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराया जाए. वर्तमान में राघव रेड्डी विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष हैं. माना जा रहा है कि वीएचपी में अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया गुट का दबदबा खत्म करने के लिए आरएसएस ने चुनाव कराने की बात कही है.
शनिवार को आरएसएस की ओर से अध्यक्ष पद के लिए हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जस्टिस कोगजे का नाम आगे बढ़ाया गया था लेकिन प्रवीण तोगड़िया के समर्थकों के आगे संघ की पसंद वीएचपी की पसंद नहीं बन पाई. मजबूरन आरएसएस को वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष पद पर पुरानी जोड़ी को ही बनाए रखना पड़ा. इस दौरान काफी गहमागहमी की भी खबरें मिलीं. बताया जा रहा है कि संघ के सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
बताते चलें कि ओडिशा के भुवनेश्वर में वीएचपी की तीन दिवसीय केंद्रीय प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति अधिवेशन की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में प्रवीण तोगड़िया को पदमुक्त करने की कवायद चल रही थी. आरएसएस प्रवीण तोगड़िया को पदमुक्त करते हुए जस्टिस कोगजे को अध्यक्ष बनाना चाहता था लेकिन तोगड़िया के समर्थकों के हंगामे के कारण संघ का दांव नहीं चल पाया. संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार आरएसएस की तरह वीएचपी में भी हर तीन साल बाद अध्यक्ष पद का चुनाव होता है.
इसी के चलते इस बार वीएचपी के अधिवेशन में अध्यक्ष पद का चुनाव होना था. जब तक दिवंगत अशोक सिंघल वीएचपी के कर्ता-धर्ता रहे तब तक उन्हीं की राय सर्वमान्य होती थी. मगर उनके बाद वीएचपी की व्यवस्था भी संघ के अधीन हो गई, अब जिसमें चुनाव की नौबत आ गई है. बताते चलें कि 1983 में सिर्फ 22 साल की उम्र में वीएचपी से जुड़े प्रवीण तोगड़िया पेशे से डॉक्टर हैं. राम मंदिर आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका देखते हुए पहले तो उन्हें विश्व हिंदू परिषद का महासचिव और फिर 2011 में अशोक सिंघल की जगह पर उन्हें विश्व हिंदू परिषद का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के साथ संबंध कुछ खास ठीक नहीं हैं. 2014 में बीजेपी के लिए माहौल तैयार करने में अहम भूमिका निभाने के बाद उन्होंने अपनी किताब ‘सैफरान रिफ्लेक्शन: फेसेज ऐंड मास्क’ में बीजेपी और पीएम मोदी पर सवाल उठाए थे. वह कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से मोदी सरकार के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठा चुके हैं.
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