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वजन घटाने वाली कंपनी की धोखाधड़ी का शिकार हुए उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, राज्यसभा में बताई फ्रॉड की कहानी

बाजार में फर्जी विज्ञापन वाली कंपनियों का जाल बिछा हुआ है. उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू भी इनका शिकार हो गए. उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इनपर नकेल कसने के लिए सरकार नया बिल ला रही है. वर्तमान बिल मौजूदा दौर को देखते हुए काफी पुराना हो चुका है. इसमें बदलाव की जरूरत है.

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उप राष्ट्र पति वैंकेया नायडू
  • December 29, 2017 5:32 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः विज्ञापन के जरिए आम आदमी से ही धोखाधड़ी नहीं होती बल्कि कई बार ‘खास’ आदमी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने साथ हुई विज्ञापन के जरिए हुई धोखाधड़ी की वारदात राज्य सभा में अपने भाषण के दौरान साझा की. उपराष्ट्रपति ने शुक्रवार को अपने भाषण के दौरान बताया कि उन्हें वजन घटाने का दावा करने वाली एक कंपनी ने धोखा दिया. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद मैंने एक विज्ञापन देखा. दवा का विज्ञापन था जिसके सेवन से 28 दिन में वजन कम करने की बात कही गई थी. फिलहाल मेरा वजन ज्यादा हो गया इसलिए मैंने जानकारी के लिए कुछ रुपये देकर दवा मंगवाई. फिर कंपनी की तरफ से पत्र आया जिसमें लिखा था कि एक हजार से ज्यादा का पैसा भेजिए तब ओरिजिनल दवा मिलेगी. नायडू ने कहा कि इसके बाद मैंने उपभोक्ता मामलों के विभाग को पत्र लिखा. इसके बाद पड़ताल में पता चला कि यह कंपनी दिल्ली के बजाय अमेरिका की है.

दरअसल राज्यसभा में सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने मिलावट और नकली सामान पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि विज्ञापनों का जोर है. बाजार में हर चीज में मिलावट देखने को मिलती है. ऐसे में सरकार को भ्रामक चीजों पर अंकुश लगाने की दिशा में काम करना चाहिए. इस पर उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान कुछ कहते इससे पहले ही उपराष्ट्रपति ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी का यह किस्सा सुनाया.

रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार इस संबंध में एक बिल ला रही है. वे उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए जल्द ही एक बिल पेश करने वाले हैं जिससे ऐसी कंपनियों और विज्ञापनों से उनके हितों की रक्षा होगी. वर्तमान कानून 1986 का हो जो वक्त के हिसाब से बहुत पुराना हो गया है. जल्द ही हम संसद में यह विधेयक पेश करेंगे. नया उपभोक्ता संरक्षण बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है और हमारा आपसे अनुरोध है कि दोनों सदन इस बिल को स्टैंडिंग कमिटी में भेजकर इसमें और देरी न करें.

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