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वेंकैया नायडू ने जब विदाई समारोह में कहा- पहला प्यार पहला ही होता है !

नई दिल्ली, राज्यसभा में सोमवार को सभापति के रूप में एम वेंकैया नायडू को विदा देते हुए अधिकतर सांसदों ने जहां उनके हास्यबोध और हाजिरजवाबी की सराहना की, वहीं स्वयं नायडू ने आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा की ‘पहले प्यार’ को लेकर की गई एक टिप्पणी पर ऐसी चुटकी ली, जिससे पूरे […]

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वेंकैया नायडू ने जब विदाई समारोह में कहा- पहला प्यार पहला ही होता है !
  • August 8, 2022 9:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, राज्यसभा में सोमवार को सभापति के रूप में एम वेंकैया नायडू को विदा देते हुए अधिकतर सांसदों ने जहां उनके हास्यबोध और हाजिरजवाबी की सराहना की, वहीं स्वयं नायडू ने आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा की ‘पहले प्यार’ को लेकर की गई एक टिप्पणी पर ऐसी चुटकी ली, जिससे पूरे सदन में हंसी के ठहाके लग गए.

राघव चड्ढा के बयान पर ली चुटकी

राघव चड्ढा ने उच्च सदन में सभापति के रूप में नायडू के लिए विदाई भाषण देते हुए उनके योगदान को याद किया. उन्होंने सदन में आने के अपने पहले दिन के अनुभव को याद करते हुए कहा, ”हर व्यक्ति को अपना पहला अनुभव हमेशा याद होता है. स्कूल का पहला दिन, पहला प्रिंसिपल, पहली टीचर, पहला प्यार, सब कुछ.’ उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने संसदीय जीवन की शुरुआत की तो उसमें पहले सभापति नायडू ही थे, इसलिए वह सदैव उन्हें तहे दिल से याद करेंगे.

राघव चड्ढा ने जब अपनी बात खत्म की तो नायडू ने प्रश्न किया, ”राघव, मेरे ख्याल से प्यार एक ही होता है ना? एक बार, दो बार, तीसरी बार…ऐसा होता है…नहीं ना!…पहला ही प्यार होता है ना?”

इस पर मुस्कुराते हुए राघव चड्ढा ने कहा, ”सर, अभी मैं इतना अनुभवी नहीं हूँ.”

नायडू ने क्या कहा ?

विदाई कार्यक्रम में वेंकैया नायडू ने एक किस्सा सुनाया, उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी के पैर नहीं छूए हैं. उन्होंने 5 साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी के उस फोन कॉल का भी जिक्र किया, जिसमें पीएम ने उन्हें बताया था कि वे पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति के लिए चुने गए हैं. नायडू ने कहा कि जिस दिन पीएम मोदी ने फोन कर बताया कि मुझे उपराष्ट्रपति के लिए चुना जा रहा है, उस समय मेरी आंखों में आंसू आ गए. ये आंसू सिर्फ इस बात पर आ रहे थे कि मुझे अब अपनी पार्टी छोड़नी पड़ेगी.

नायडू ने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत हमेशा प्रबल होता है, लेकिन विपक्ष को कहना चाहिए और सरकार को उन्हें भी आगे आने के लिए इजाज़त देनी चाहिए. अंततः बहुमत लोकतंत्र में फैसला करता है, मैं पद्म पुरस्कार के बारे में एक बात से खुश हूं कि कैसे सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त लोगों को मान्यता दी. राजनीति में कोई शॉर्ट कट नहीं होता, इसके लिए आपमें धैर्य होना चाहिए और मेहनत करनी चाहिए. लोगों के पास जाओ, उन्हें जागरूक करो और दूसरों की सुनो. तुष्टिकरण किसी का भी नहीं किया जाना चाहिए, सबका सम्मान किया जाना चाहिए.

 

 

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