लखनऊ, बीते विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार हार का सामना कर रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने विधान परिषद की दो सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव से पहले ही हार मान ली है इसलिए सपा ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. दरअसल, सपा के पास इन सीटों […]
लखनऊ, बीते विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार हार का सामना कर रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने विधान परिषद की दो सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव से पहले ही हार मान ली है इसलिए सपा ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. दरअसल, सपा के पास इन सीटों को जीतने के लिए पर्याप्त वोट ही नहीं हैं. जिसके चलते अखिलेश यादव ने इन सीटों पर उम्मीदवार न उतारने का फैसला लिया है, अब जल्दी ही वह अपने इस फैसले का ऐलान करेंगे.
इन दोनों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत लगभग तय है. भाजपा नेताओं के मुताबिक, पार्टी के नेताओं के अलावा सपा से नाता तोड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओपी राजभर भी अपने बेटे अरविंद राजभर को विधान परिषद भेजने के जुगाड़ में लगे हैं, एस में जल्दी भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विधान परिषद ही इन दोनों सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा कर देगा.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के सुर जब से भाजपा के लिए बदले हैं, तभी से ऐसी चर्चा शुरू हो गई है कि जल्द ही राजभर के बेटे अरविंद राजभर को भाजपा से विधान परिषद भेजे जा सकता है. वहीं, राजभर के करीबी सूत्रों की मानें तो जल्द ही अरविंद भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं.
दरअसल, अचानक ही यूपी की राजनीति में नए संकेत देखने को मिल रहे हैं. जिस तरह से ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला बोलना शुरू किया है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ में वह कसीदे पढ़ रहे हैं, उससे यह साफ ज़ाहिर हो रहा है कि कहीं ना कहीं कोई बात बन रही है, कोई खिचड़ी पक रही है. विधान परिषद की 2 सीटों के लिए नामांकन का दौर शुरू हो चुका है और 11 अगस्त को इस पर वोटिंग भी होनी है. ऐसे में पूरी संभावना यह जताई जा रही है कि ओमप्रकाश राजभर अब भाजपा के हो चले हैं और अपने बेटे को भाजपा के कोटे से विधान परिषद भेज सकते हैं.