राजनीति

क्या उपचुनाव में अखिलेश दे पाएंगे योगी को टक्कर ?

Lucknow: लोकसभा चुनाव में मिली अपार सफलता के बाद, अखिलेश यादव और उनके समर्थक बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं. तो वहीं बीजेपी को लोकसभा चुनाव में उतनी सीटें नही मिल पाई जितनी उम्मीद की थी. जिससे उनके समर्थक हताश और निराश हैं. सबसे ज्यादा निराशा उन्हें तब हुई जब बीजेपी के हिंदुत्व का केंद्र अयोध्या में हार का सामना करना पड़ा. अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव होने हैं जहां एक-बार फिर योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव आमने-सामने हैं.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी से उत्तर प्रदेश की सबसे पार्टी होने का तमगा छीनकर अपने नाम कर लिया है, और 37 सीटों को जीतकर सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. बीजेपी को लोकसभा सीटोंं में हुए नुकसान पर अब पार्टी में मंथन का दौर जारी है. बीजेपी आलाकमान की ओर से उत्तर प्रदेश की कई सीटों का विश्लेषण करने के लिए प्रभारी नियुक्त किए हैं. प्रभारियों का काम जिन सीटों पर भाजपा हारी या जीत अंतर का कम हुआ है उसकी वजह तलाश करना है, और इसकी रिपोर्ट केंद्र तक पहुंचाना है.
योगी करेंगे यूपी में खेला ?
ये सब इसलिए हो रहा है कि अखिलेश यादव ने देश के सबसे बड़े वाले सूबे उत्तर प्रदेश में पीडीए फॉर्मूले से बीजेपी और पूरे एनडीए को धराशायी कर दिया है. अखिलेश ने जो पीडीए फॉर्मूला आजमाया उसमें पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक समुदाय आता है. पीडीए ने इसबार जमकर अखिलेश के पक्ष में वोट किया. तो वहीं बीजेपी, प्रधानमंत्री मोदी के मंगलसूत्र, भैंस, और मुस्लिमों को घुसपैठिया कहने के बावजूद धार्मिक ध्रुवीकरण करने में असफल रही है. जिसका नतीजा ये रहा कि बीजेपी बहुमत के आंकड़े से चुक गई और 240 सीटों पर ही सिमट कर रह गई, हालांकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पा लिया और केंद्र में सरकार बना ली.
बीजेपी ने बहुमत पाने का आंकड़ा गंवाया है उसमें प्रमुख कारण उत्तर प्रदेश की सीटों में हुई कटौती को दिया जा सकता है. अब उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होनें हैं जिसमें सपा-बीजेपी आमने-सामने होंगी. ये देखना होगा कि अखिलेश यादव समाजवादी की खाली हुई 4 विधानसभा पर दोबारा जीत पाएंगे या सीएम योगी इन सीटों में सेंध लगाने में कामयाब हो पाएंगे ?
9 विधानसभा सीटों पर मुकाबला
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों के विधायकों ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, और अब वे जीतकर लोकसभा जाएंगे. जिसके इन सभी सीटों पर दोबारा चुनाव होंगे. इन 9 सीटों में से 4 सपा की 3 बीजेपी की 1 आरएलडी और 1 निषाद पार्टी की सीट है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि समाजवादी पार्टी की चारो सीटों पर जीत का मार्जिन 10 हजार से ज्यादा का है और अभी उनके पक्ष में हवा भी चल रही है, जिससे लग रहा है कि सपा अपनी सपा अपनी सीटें बचाने में कामयाब हो सकती है. और बीजेपी की तीन सीटों में से एक फूलपुर की सीट जहां से प्रवीण पटेल विधायक थे, जो कि अब सांसद बन गए हैं. उनकी विधानसभा सीट की जीत मार्जिन लगभग 2700 वोटों का ही था. सवाल उठता है कि क्या बीजेपी इस सीट को बचा पाएगी या ये सीट सपा के खाते में जाएगी. बाकी की सीटों पर लड़ाई आसान लग रही है. रालोद अपनी सीट को रिटेन आसानी से कर लेगी और निषाद पार्टी भी आसानी से अपनी सीट पा जाएगी.
इन सीटों पर उपचुनाव
करहल
मिल्कीपुर
फूलपुर
गाजियाबाद सदर
खैर
कुदरकी
कटेहरी
मीरापुर
मझवा
मिल्कीपुर, करहल और फूलपुर की सीटों पर सबकी नजर
1. इस बार के उत्तर प्रदेश उपचुनाव में पूरा बीजेपी आलाकमान उत्तर प्रदेश में ही नजर आने वाला है क्योंकि उन्हें यहां अपनी साख बचानी है. फैजाबाद के अंतर्गत आने वाली अयोध्या में भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा जहां राम मंदिर का मुद्दा इतना गरमाया था. अब बीजेपी की सोंच होगी की सपा की फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर उत्तर प्रदेश अपनी खोई हुई अपनी प्रतिष्ठा वापस ली जाए. विधानसभा 2022 में यहां से अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को लगभग 12 हजार के वोटों से हराया था. अब अवधेश प्रसाद दिल्ली पहुंच गए हैं तो अच्छा मौका होगा कि इस सीट पर किसी अनुभवी उम्मीदवार को उतारकर जीत दर्ज की जाए.
2. अखिलेश यादव की करहल सीट है जहां उन्होंने बीजेपी के प्रो. एस पी सिंह बघेल को हराया था. लेकिन अब अखिलेश के कन्नौज से चुनाव जीतने के बाद ये सीट खाली हो गई है. ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश अपने भतीजे तेजप्रताप यादव को इस सीट से उतार सकते हैं. इस सीट पर यदि सपा हारती है तो बीजेपी अखिलेश के गढ़ में सेंध मारेगी और इसका फायदा 2027 में दिखेगा. हालांकि यहां जीत दर्ज करना बीजेपी के लिए इतना आसान नही होगा.
3. इस लिस्ट में तीसरा नंबर फूलपुर विधानसभा सीट का है, जहां 2022 चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी प्रवीण पटेल ने सपा के मोहम्मद मुजतबा को 2732 वोटों से हराया था. बहुत कम मार्जिन से हुई बीजेपी की जीत के बाद ऐसा लग रहा है कि बीजेपी ये सीट बचा भी पाएगी. क्योंकि जिस तरह से फूलपुर में  अखिलेश की रैली में भीड़ आई थी और बीजेपी प्रत्याशी भी नया होगा क्योंकि प्रवीण तो लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली चले गए हैं. इस सीट पर सपा और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
अब चुनाव में देखने वाली बात होगी कि अखिलेश का पीडीए फॉर्मूला कितना कामयाब होगा, यदि ये इस बार कामयाब हुआ तो लोकसभा चुनाव जीत तुक्के से नही हुई है इसके पीछे सोची समझी रणनीति है. और ये भी देखना होगा कि योगी कितनी लोकसभा सीटों को कब्जे में ला पाएंगे. ऐसे में योगी कोशिश करेंगे कि उत्तर प्रदेश में कमजोर साख को दोबारा हासिल किया जाए, और जो लोग बीजेपी की उत्तर प्रदेश में घटती लोकप्रियता पर योगी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं उन्हें भी तगड़ा जवाब दिया जाए.
 
Aniket Yadav

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