लखनऊ। दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की चौथी मीटिंग के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की कवायद और तेज गई है। जल्द ही सभी पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत शुरू हो जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर राज्य स्तर पर बातचीत होगी। […]
लखनऊ। दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की चौथी मीटिंग के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की कवायद और तेज गई है। जल्द ही सभी पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत शुरू हो जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर राज्य स्तर पर बातचीत होगी। ऐसे में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश की कमान उनके हाथ में हो।
उत्तर प्रदेश में सपा सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। उत्तर प्रदेश में सपा का जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल, कांग्रेस, महान दल जैसे दलों के साथ गठबंधन है। सपा चाहती है कि मुख्य विपक्षी दल होने के नाते उत्तर प्रदेश की कमान अखिलेश यादव के हाथ में रहे। इसके तहत सभी सहयोगी दलों से उम्मीदवारों की डिटेल मांगी जाएगी और जिस भी दल का प्रत्याशी सबसे मजबूत स्थिति में होगा, उसे प्रत्याशी बनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में सीट शेयरिंग को लेकर जल्द ही समाजवादी पार्टी सहयोगी दलों के साथ मीटिंग करेगी। कांग्रेस पार्टी इसके लिए अपने प्रतिनिधि नियुक्त करेगी और सीट शेयरिंग पर सपा, कांग्रेस के प्रतिनिधि ही बात करेंगे।
बसपा के मुस्लिम प्रत्याशियों के हिसाब से समाजवादी पार्टी आगे की रणनीति तैयार कर रही है। अखिलेश यादव नहीं चाहते कि बहुजन समाज पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल हो, क्योंकि अगर बसपा भी गठबंधन में शामिल होगी तो समाजवादी पार्टी को बसपा के लिए भी सीटें छोड़नी पड़ेंगी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सपा ने बीएसपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था तो इससे बसपा को फ़ायदा हुआ था, बसपा ने दस सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि सपा केवल पांच सीटें ही हासिल कर पाई थी।