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क्या है योगी सरकार की तबादला नीति, जिसे नज़रअंदाज़ कर घिरे यूपी के ये मंत्री

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुए तबादले के ‘खेल’ से सियासी बवाल मच गया है. उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद के लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाकायदा जांच बैठा दी है. सूबे में ट्रांसफर नीति का पालन न करने के चलते जितिन प्रसाद के […]

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Yogi Govt Transfer Policy
  • July 20, 2022 4:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुए तबादले के ‘खेल’ से सियासी बवाल मच गया है. उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद के लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाकायदा जांच बैठा दी है. सूबे में ट्रांसफर नीति का पालन न करने के चलते जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय नप गए हैं तो वहीं चीफ इंजीनियर समेत पांच अधिकारियों को सस्‍पेंड कर दिया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि स्वास्थ्य विभाग और पीडब्ल्यूडी में हुए तबादले में क्या योगी सरकार की तबादला नीति की अनदेखी की गई है, जिससे यह सियासी घमासान छिड़ गया है.

तबादला नीति की अनदेखी

बता दें कि योगी सरकार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद एक नई तबादला नीति लाइ थी, इस नीति के तहत समूह-ख और ग के अधिकारी और कर्मचारी एक जिले में 3 साल और एक मंडल में 7 साल से ज्यादा नहीं रह सकते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग से लेकर शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग तक में अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले हुए हैं, लेकिन योगी सरकार की तबादला नीति की कई विभागों में अनदेखी किए जाने का भी मामला सामने आया है.

योगी सरकार की तबादला नीति की उड़ी धज्जियाँ

जितिन प्रसाद के मंत्रालय लोक निर्माण विभाग में 350 से अधिक इंजीनियरों का तबादला किया गया था, जिसमें से 200 अधिशासी अभियंताओं और डेढ़ सौ से अधिक सहायक अभियंताओं का तबादला किया गया. इसी तरह डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग में करीब 200 डॉक्टरों के भी तबादले किए गए थे. स्वास्थ्य विभाग ने दो बार में कई सीएमओ के ट्रांसफर की लिस्ट भी जारी की गई, जिसे लेकर शिकायत की गई.

पीडब्ल्यूडी में हुए ट्रांसफर में ऐसे-ऐसे लोगों का तबादला कर दिया गया था जो जिंदा भी नहीं हैं. जूनियर इंजीनियर घनश्याम दास का तबादला झांसी कर दिया गया था, जिन्हें मरे हुए तीन साल बीत चुके हैं. पीडब्ल्यू विभाग में ही कई ऐसे इंजीनियर हैं, जो 10 साल से लेकर 22 साल तक एक ही जिले में जमे हुए हैं, और उनका ट्रांसफर नहीं किया गया. वहीं, कई कर्मचारियों का तबादला तब बहुत दूर कर दिया गया, जब वे एक-दो साल के अंदर ही सेवानिवृत होने वाले थे. एक ही जिले में तैनात पति-पत्नी का भी दूर जिलों में ट्रांसफर कर दिया गया, इस तरह योगी सरकार की नीति का पालन नहीं किया गया.

क्या है सरकार की तबादला नीति

बता दें कि योगी सरकार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद एक नई तबादला नीति लाइ थी, इस नीति के तहत समूह-ख और ग के अधिकारी और कर्मचारी एक जिले में 3 साल और एक मंडल में 7 साल से ज्यादा नहीं रह सकते हैं. मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बताया कि तबादला नीति के तहत समूह ‘ग’ और ‘घ’ के कर्मचारी पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं तो उन्हें एक ही जिले, नगर और स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकेगा. दो वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले समूह ‘ग’ के कार्मिकों को उनके गृह जिले और और समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के कार्मिकों को उनके गृह जिले को छोड़कर उनकी इच्छा से किसी जिले में तैनात करने पर विचार किया जाएगा, ये थी योगी सरकार की असल तबादला नीति, लेकिन इसकी अनदेखी की गई जिसके बाद अब अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

 

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