UP Elections Results 2022 करहल, UP Elections Results 2022: करहल से भाजपा के एसपी सिंह बघेल को मात देकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव आगे चल रहे हैं. मुलायम की कर्मस्थली है मैनपुरी बता दें कि समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का करहल सीट से करीबी जुड़ाव रहा है. मुलायम सिंह यादव […]
करहल, UP Elections Results 2022: करहल से भाजपा के एसपी सिंह बघेल को मात देकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव आगे चल रहे हैं.
बता दें कि समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का करहल सीट से करीबी जुड़ाव रहा है. मुलायम सिंह यादव ने करहल के जैन इंटर कॉलेज से ही शिक्षा ग्रहण की थी और यहाँ वे बतौर शिक्षक कार्यरत भी रहे, जिस वजह से उनका इस सीट से सियासी जुड़ाव के अलावा भावनात्मक जुड़ाव भ है. गौरतलब है करहल मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई से महज चार किलोमीटर की दूरी पर है. 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद मुलायम सिंह यादव 1993 में शिकोहाबाद से पहला विधानसभा चुनाव लड़े थे और जीते थे. शिकोहाबाद सीट तब मैनपुरी में थी. मैनपुरी लोकसभा सीट से वह लगातार जीतते रहे हैं इसलिए इस जिले को सपा और यादव परिवार का गढ़ माना जाता है.
करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) का सात बार अपना कब्ज़ा जमा चुकी है. करहल का अगर इतिहास देखें तो इस विधानसभा सीट से 1985 में दलित मजदूर किसान पार्टी के बाबूराम यादव, 1989 और 1991 में समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) और 1993, 1996 में सपा के टिकट पर बाबूराम यादव विधायक निर्वाचित हुए थे. 2000 के उपचुनाव में सपा के अनिल यादव, 2002 में बीजेपी और 2007, 2012 और 2017 में सपा के टिकट पर सोवरन सिंह यादव इस सीट से विधायक चुने गए थे इसलिए समाजवादी पार्टी के लिए करहल सीट काफी सुरक्षित है.
2012 के नतीजों की बात करें तो 2012 में समाजवादी पार्टी बहुमत के साथ प्रदेश में आई थी, सपा को इस दौरान 224 सीटें मिली थी, जबकि बसपा को 80 और भाजपा को महज़ 47 सीटें मिली थी, उस समय सपा और बसपा की राजनीति के आगे भाजपा का कमल प्रदेश में नहीं खिल पाया था. लेकिन, इसके ठीक इतर साल 2017 के चुनाव में भाजपा ने न सिर्फ पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाई बल्कि 300 से ज्यादा सीटें जीती, यह पहली बार था जब प्रदेश में किसी पार्टी को इतनी ज्यादा सीटें मिली हो, इस कड़ी में अगर विपक्ष की बात करें तो साल 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को 47 सीटें मिली थी(जितनी साल 2012 में भाजपा को मिली थी) और बसपा को सिर्फ 19 सीटें मिली थी.