UP Chunav 2022: यूपी चुनाव में इस बार क्या कहता है यादव लैंड का समीकरण?

UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश, UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रविवार यानि 20 फरवरी को तीसरे चरण के तहत मतदान किया जाना है. तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर मतदान होंगे. इन 16 ज़िलों में से 8 यादव बाहुल्य जिले हैं, लिहाज़ा इस इलाक़े को ‘यादव लैंड’ (Yadav Land) […]

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UP Chunav 2022: यूपी चुनाव में इस बार क्या कहता है यादव लैंड का समीकरण?

Aanchal Pandey

  • February 19, 2022 8:32 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

UP Chunav 2022:

उत्तर प्रदेश, UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रविवार यानि 20 फरवरी को तीसरे चरण के तहत मतदान किया जाना है. तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर मतदान होंगे. इन 16 ज़िलों में से 8 यादव बाहुल्य जिले हैं, लिहाज़ा इस इलाक़े को ‘यादव लैंड’ (Yadav Land) कहा जाता हैं. इन ज़िलों में कुल 29 सीटें हैं. यहां मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का पुराना यादव-मुस्लिम गठजोड़ (यानि एम-वाई समीकरण) शुरू से ही काफी मज़बूत रहा है. पिछले चुनाव में मोदी लहर के तहत मुलायम का यह यादव-मुस्लिम गठजोड़ बिखर गया था, लिहाज़ा तब बीजेपी ‘यादव लैंड’ पर भगवा फहराने में कामयाब हो गई थी.

यादवलैंड में कड़ा मुकाबला

इस बार अखिलेश मुसलमानों का भरोसा जीत कर बाज़ी पलटने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं, उनकी पूरी कोशिश है कि 2017 में यादव लैंड में जिस तरह मोदी लहर आई थी, वैसा इस बार न हो. वहीं, दूसरी ओर अपना किला बचाए रखने के लिए मोदी-योगी और शाह भी हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल, ‘यादव लैंड’ में अखिलेश के सामने बाज़ी पलटने की बड़ी चुनौती है.

यहां उनकी पार्टी और उनकी खुद की साख भी दांव पर लगी हुई है. वो मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में बेटे की इज्जत बचाने के लिए बीते दिन मुलायम ने भी यहाँ चुनाव प्रचार किया था जिसके बाद यहाँ से अखिलेश की जीत पक्की तो मानी जा रही है लेकिन यह जीत आसान नहीं होगी. लिहाजा भाजपा ने भी ‘यादव लैंड’ में समाजवादी पार्टी को एक बार फिर पटखनी देने और अखिलेश को उनकी ही सीट पर घेरने के लिए पूरा चक्रव्यूह रचा है. इसके लिए भाजपा ने मुलायम के करीबी एसपी सिंह बघेल को यहाँ से चुनावी मैदान में उतारा है.

गौरतलब है यादवलैंड में यादव भी दो ख़ेमों में बंटे हुए हैं. एक ख़ेमा बीजेपी समर्थक है, जिसकी बदौलत पिछली बार बीजेपी यहां सपा को कमजोर करने में कामयाब हो गई थी. इसकी काट के लिए अखिलेश को करहल सीट से उम्मीदवार बनाया गया है लेकिन उनकी मदद के लिए भी मुलायम सिंह यादव को भी चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरना पड़ा क्योंकि मुलायम ही यादवों में दो गुटों के बीच की दरार को पाटने की क्षमता रखते हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यादवलैंड में किसका परचम लहराता है.

 

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