नई दिल्ली, असंसदीय शब्दों की सूची को लेकर छिड़े विवाद पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सफाई दी है, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि देश में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए, किसी भी शब्दों को बैन नहीं किया गया है बल्कि जिन शब्दों को विलोपित की लिस्ट […]
नई दिल्ली, असंसदीय शब्दों की सूची को लेकर छिड़े विवाद पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सफाई दी है, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि देश में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए, किसी भी शब्दों को बैन नहीं किया गया है बल्कि जिन शब्दों को विलोपित की लिस्ट में शामिल किया गया है उसकी पूरी डिक्शनरी है जिसमें 1100 पन्ने हैं. साल 1954 से अबतक समय-समय पर इन्हें निकाला जाता है. 2010 से ये हर साल निकाला जाता है.
ओम बिरला ने कहा कि जो शब्द असंसदीय शब्द की सूची में शामिल किए गए हैं, वे वही शब्द हैं जो किसी विधानसभा में या किसी भी सदन में इस्तेमाल किये गए हैं और उन्हें उस दौरान कार्यवाही से निकाला गया है. लेकिन साथ ही लोकसभा स्पीकर ने साफ किया कि उस दौरान वह शब्द किस संदर्भ में कहा गया है, यह मायने रखता है ऐसा बिल्कुल नहीं है कि वह शख्स उसे लोकसभा या राज्यसभा की कार्यवाही में बोला नहीं जा सकता.
शब्द किस संदर्भ में बोला जा रहा है उसी के आधार पर लोकसभा स्पीकर खुद से या किसी सदस्य की शिकायत पर यह तय करते हैं कि कौन सा शब्द- असंसदीय है और उसे कार्यवाही से हटाया जाए या नहीं. साथ ही स्पीकर की तरफ से कहा गया कि सदन के अंदर किसी सांसद को कोई बात कहने पर कभी कोई कार्यवाही नहीं हो सकती है, अगर कोई ज्यादा बोलता है तो देश देखेगा.
असल में यह मुद्दा तब उठा है जब लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को एक बुकलेट जारी की, जसिमें कुछ शब्द जैसे जुमलाजीवी, अब्यूज्ड, बीट्रेड, करप्ट, ड्रामा, हिपोक्रेसी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर, स्नूपगेट, अशेम्ड, इनकंपीटेंट, असंसदीय जैसे शब्दों का इस्तेमाल असंसदीय भाषा की श्रेणी में आएगा. इसलिए इन शब्दों का इस्तेमाल लोकसभा और राज्यसभा में न किया जाएगा, बस इसी बुकलेट के जारी होने के बाद से बवाल शुरू हो गया और विपक्ष इसकी आलोचना करने लगा.
इसके लिए लोकसभा सचिवालय ने बकायदा ‘असंसदीय शब्द 2021’ शीर्षक के तहत इन शब्दों और वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है. अब लोकसभा एवं राज्यसभा में बहस के दौरान यदि सांसद इन शब्दों का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें ‘असंसदीय’ माना जाएगा और उन्हें सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा.
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