आधार कार्ड का फ्रेमवर्क तैयार होने के समय से ही लोगों की निजी जानकारी की सिक्योरिटी को लेकर सवाल उठते रहे हैं. अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार के डाटाबेस में हैकर्स सेंध लगा चुके हैं. हैकर्स एक सॉफ्टवेयर की मदद से आधार पर किसी का नाम पता बदल सकते हैं या निजी जानकारी ले सकते हैं.
नई दिल्ली. आधार कार्ड डेटा सिक्योरिटी 2009 से ही चर्चा का विषय बना हुआ है. फ्रेमवर्क तैयार होने के समय से ही आधार की सिक्योरिटी हॉट टॉपिक रहा है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) कह रहा है कि वह फेस रिकॉग्निशन तकनीक (चेहरा पहचानने) पर काम कर रहा है. आधार को हर बार पूरी तरह सुरक्षित बताया गया है लेकिन यह एक बार फिर से सुर्खियों में है. एक तीन महीने महीने तक चली इन्वेस्टिगेशन के बाद इसकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आधार कार्ड का डेटा सॉफ्टवेयर हैक कर लिया गया है.
हफिंगटनपोस्ट डॉट कॉम ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि आधार कार्ड का सॉफ्टवेयर हैक हो चुका है. इसके हैक होने के साथ ही भारत के करीब एक अरब लोगों की निजी जानकारी दांव पर लगी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार कार्ड के सॉफ्टवेयर में एक गड़बड़ी है. इस गड़बड़ी को एक सॉफ्टवेयर के जरिए आधार कार्ड डेटा हैक किया जा सकता है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति किसी के भी नाम से वास्तविक आधार कार्ड बना सकता है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक सॉफ्टवेयर है जो आधार के सिक्योरिटी फीचर को नाकाम कर देता है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति 12 डिजिट का वास्तविक आधार क्रिएट कर सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार की सुरक्षा में सेंध लगाने वाला यह सॉफ्टवेयर आसानी से उपलब्ध है. इसके अलावा यह व्हाट्सएप पर सिर्फ 2500 रुपये में मिल रहा है और इसका जमकर इस्तेमाल हो रहा है. इसकी मदद से आधार के सिक्योरिटी फीचर को बंद कर नया आधार तैयार किया जा सकता है.
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि टेलीकॉम कंपनियों और अन्य प्राइवेट कंपनियों को जब यूआईडीएआई ने आधार का एक्सिस दिया था तभी यह खामी सामने आ गई थी. इससे दुनिया में बैठा कोई व्यक्ति आसानी से आधार डेटा का दुरुपयोग कर सकता है. हालांकि इस मामले पर यूआईडीएआई ने कोई बयान नहीं दिया है. सरकार का अभी भी कहना है कि आधार पूरी तरह सुरक्षित है.