पटना : बिहार में आज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी समाधान यात्रा का आगाज़ कर दिया है. इस यात्रा में वह प्रदेश के कई ज़िलों में जाकर सरकारी अधिकारियों के काम-काज पर नज़र रखेंगे और सरकार की योजनाओं का निरिक्षण करेंगे. लेकिन सीएम नीतीश अकेले नहीं है जो इस समय बिहार में यात्रा करने निकले हैं. गौरतलब है कि पहले से ही प्रदेश में दो राजनीतिक यात्राएं चल रही हैं.
इनमें पहला नाम प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा का है. इन तीनों में से बिहार में शुरू होने वाली यह पहली यात्रा थी. इसके बाद आती है कांग्रेस की हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा. लेकिन सवाल ये है कि आखिर किस सियासी यात्रा ने प्रदेश में तापमान अधिक बढ़ाया है.
नीतीश कुमार आज(5 जनवरी) से अपनी समाधान यात्रा की शुरुआत कर चुके हैं. उनकी यह यात्रा गुरुवार की सुबह दरुआबारी से शुरू हुई. इस यात्रा का मकसद जमीनी स्तर पर सरकार के कामों का निरिक्षण करना है. उनकी यह यात्रा पहले पड़ाव में 18 जिलों का दौरा करेगी. इस दौरान वह जमीनी स्तर पर ग्रामीणों की समस्या सुनेंगे और उनसे बातचीत करेंगे. उनकी यह यात्रा अपने पहले पड़ाव में 29 जनवरी तक चलेगी. इसके जरिए 18 जिलों को कवर करेंगे. कयास लगाए जा रहे हैं की चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए इस यात्रा को संपन्न किया जा रहा है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की यात्रा तो बिहार नहीं पहुँच पाई लेकिन कांग्रेस ने बिहार में हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर दी है. यह यात्रा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद के नेतृत्व में चल रही है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को इस यात्रा में शिरकत की. बांका जिले में खड़गे सभा को संबोधित करेंगे. साथ ही खड़गे ने करीब 7 किलोमीटर पैदल यात्रा भी की. यह यात्रा 20 जिलों में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी जहां इसके पहले चरण की शुरुआत 5 जनवरी से होगी और 10 जनवरी तक चलेगी। यह यात्रा बांका, भागलपुर और खगड़िया तक जाएगी.
भले ही कांग्रेस बिहार में गठबंधन का हिस्सा नहीं है लेकिन वह सियासी आधार को मजबूत करने में जुट गई है.छोटे भाई की भूमिका में रहने वाली कांग्रेस बिहार में फिलहाल आरजेडी और जेडीयू के नीचे ही है. राहुल गांधी की यात्रा से बिहार में भी कांग्रेस को कुछ उम्मीद की किरण देखने को मिल रही है. अब देखना ये होगा कि इस महागठबंधन में वह अपना कितना वजूद स्थापित कर पाती है.
बिहार की सियासत में राजनीतिक राह तलाश रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने भी अपनी यात्रा की शुरुआत की है. गांधी जयंती के दिन उनकी यह यात्रा शुरू हुई थी. पिछले तीन महीने से वह बिहार के अलग-अलग हिस्से में गए हैं. उनकी ये यात्रा 3000 किलोमीटर की यात्रा तय करेगी. उन्हें इस यात्रा को पूरा करने में करीब एक से डेढ़ साल तक का समय लगेगा. इस दौरान उनका सबसे बड़ा लक्ष्य महागठबंधन के खिलाफ सियासी माहौल बनाना है. उनके निशाने अपर सबसे पहले महागठबंधन पर बैठी नीतीश की सरकार है.
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