नई दिल्ली, भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में आदिवासी महिला को उतारकर बड़ा दांव खेला है. भाजपा के इस दांव से विपक्ष का समीकरण बिगड़ता नज़र आ रहा है. एनडीए के अलावा कई पार्टियों ने मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया है, आइए आज आपको उनके बार में बताते हैं. […]
नई दिल्ली, भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में आदिवासी महिला को उतारकर बड़ा दांव खेला है. भाजपा के इस दांव से विपक्ष का समीकरण बिगड़ता नज़र आ रहा है. एनडीए के अलावा कई पार्टियों ने मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया है, आइए आज आपको उनके बार में बताते हैं.
दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि शिवसेना के सांसदों ने मुझ पर कोई दबाव नहीं डाला, लेकिन उन्होंने अनुरोध किया ऐसे में उनके सुझाव को देखते हुए हम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने वाले हैं. उद्धव ने आगे कहा कि हमें खुशी है कि एक अनुसूचित जनजाति की महिला राष्ट्रपति बनने जा रही हैं. सोमवार को उद्धव ठाकरे वाले शिवसेना गुट की बैठक हुई थी, जिसमें पार्टी के 19 में से सिर्फ 11 सांसद पहुंचे थे.
इनमें से ज्यादातर सांसदों ने उद्धव से अपील की थी कि वे राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का ही समर्थन करें. वहीं संजय राउत का कहना था कि शिवसेना को यशवंत सिन्हा का सपोर्ट करना चाहिए, लेकिन उद्धव ठाकरे ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला लिया.
यूपीए में शामिल कांग्रेस और आरजेडी ने विपक्ष के उम्मीदवार झारखंड के निवासी यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान किया है, इसी कड़ी में शुरुआत में झामुमो ने भी यशवंत के नाम पर सहमति जताई थी, लेकिन भाजपा की ओर से आदिवासी नेता और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान किए जाने के बाद समीकरण बदल गए और कांग्रेस की चाह धरी की धरी रह गई. यदि द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी होंगी, वहीं झारखंड में आदिवासियों की एक बड़ी आबादी है और खुद को इनकी सबसे हितैषी पार्टी के रूप में पेश करने वाली जेएमएम को मुर्मू के खिलाफ जाने पर राजनीतिक तौर पर बड़े नुकसान की अटकलें थी. बता दें मुर्मू और सोरेन दोनों संथाल समुदाय से आते हैं, जिसकी झारखंड और पड़ोसी राज्य ओडिशा में बड़ी आबादी है.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी द्रौपदी मुर्मू को वोट करेगी. राजभर ने मुर्मू के समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समर्थन माँगा और इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह से बात हुई जिसके बाद हमने ये फैसला लिया है कि हम राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेंगे, सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव में हम एनडीए के साथ हैं.
ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रही है जबकि भाजपा ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी है.
दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. अहम बात ये है कि आंध्र प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां जगन मोहन रेड्डी के मुख्य विपक्षी दल तेलगु देशम पार्टी के चन्द्रबाबू नायडू ने भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. पंजाब में अकाली दल ने भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है जबकि अकाली दल किसान बिल पर भाजपा का विरोध करते हुए केन्द्र सरकार से अलग हो गयी थी. कर्नाटक की जनता दल सेक्यूलर पार्टी ने भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है.
दिल्ली और पंजाब में सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी ने अभी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के लिए फिलहाल ऐलान तो नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी इस मामले पर शनिवार को एक बैठक करेगी और उसके बाद फैसला लेगी कि राष्ट्रपति के चुनाव में किसे वोट देना है.