मुंबई, शिवसेना पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर सुनवाई हुई, इस सुनवाई के बाद CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली ने शिंदे की शिवसेना बनाम उद्धव की शिवसेना केस को संविधान पीठ को भेज दिया है. तीन जजों की बेंच ने 8 सवाल तैयार किए हैं, जिसके आधार पर संविधान फैसला करेगी कि आखिर शिवसेना पर अधिकार किसका है ?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह पार्टी चिह्न के विवाद पर गुरुवार तक फैसला ना लें, अब पांच जजों की बेंच इस मामले पर में अगस्त को सुनवाई करने वाली है. संविधान पीठ को जो सवाल भेजे गए हैं, वो इस प्रकार हैं:
1: अगर विधानसभा के अध्यक्ष के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है तो आप 10वीं अनुसूची के तहत विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई कर सकता है?
2: क्या अयोग्यता के मामले पर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट सुनवाई कर सकता है?
3: क्या किसी विधायक को बगैर स्पीकर के फैसले के भी सिर्फ उसकी कार्यव्यवहार के आधार पर अयोग्य करार दिया जा सकता है?
4: अयोग्यता पर फैसला लंबित रहने तक विधायक की सदन की कार्यवाही में क्या भूमिका हो?
5: अगर किसी विधायक के खिलाफ दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता की कार्रवाई लंबित है ऐसे में सदन में किए गए कार्य की वैधानिकता क्या होगी?
6: दसवीं अनुसूची के पैरा 3 के हटाए जाने का क्या असर पड़ सकता है?
7: विधायक दल के नेता और व्हिप पर फैसला लेने के संबंध में स्पीकर के अधिकार का दायरा क्या होगा?
8: क्या किसी भी राजनीतिक पार्टी की आंतरिक गतिविधि में न्यायिक हस्तक्षेप किया जा सकता है ?
9: किसी दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के लिए राज्यपाल की शक्तियां क्या है और क्या उसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है?
10: किसी राजनीतिक दल में होने वाले विभाजन के संदर्भ में केंद्रीय चुनाव आयोग की शक्तियों का दायरा क्या होगा ?
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