तकरार की तमाम खबरों के बाद आखिरकार टीडीपी ने एनडीए से गठबंधन खत्म करने का औरचारिक ऐलान कर दिया. साथ ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर वाईएसआर खुद भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस भी दिया है. लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है.
नई दिल्लीः बीजेपी को शुक्रवार के दिन एक बड़ा झटका लगा. केंद्र सरकार से बाहर होने के बाद अब तेलुगू देशम पार्टी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन से बाहर आने का फैसला कर लिया. कई दिनों से दोनों के बीच चल रहे मतभेद के बाहर आखिरकार टीडीपी की ओर से इसका औपचारिक ऐलान कर दिया गया. यहीं नहीं पार्टी ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर वाईएसआर कांग्रेस के बाद खुद भी अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का नोटिस भी दिया है. टीडीपी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी को ब्रेक जनता प्रॉमिस का नया नाम दे दिया है.
बता दें कि टीडीपी ने वाईएसआर के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का ऐलान किया है. टीडीपी के इस प्रस्ताव को एआईडीएमके ने भी समर्थन देने की बात कही है. आंध्र प्रदेश के सीएमओ ने बयान जारी कर कहा कि आंध्र प्रदेश के साथ अन्याय करने वाले एनडीए से हमने समर्थन वापस ले लिया है. टीडीपी प्रेजिडेंट चंद्रबाबू नायडू ने टेलिकॉन्फ्रेंस के जरिए पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्यों और सांसदों से बातचीत कर यह फैसला लिया है. टीडीपी एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाने वाली है.’
TDP withdrew support from NDA, which did injustice to AP, TDP President Chandrababu Naidu took this decision in an emergency teleconference with party politburo members and MPs, which was unanimously supported. TDP to also introduce no-confidence motion against NDA govt: AP CMO pic.twitter.com/ZJCEJI3sJM
— ANI (@ANI) March 16, 2018
TDP leaders CM Ramesh, Thota Narsimhan, Ravindra Babu and others address the media in #Delhi after exiting NDA, say, 'BJP means 'Break Janta Promise,' also add that they will be moving a no-confidence motion on Monday. pic.twitter.com/en2bPyJzNr
— ANI (@ANI) March 16, 2018
लोकसभा सीट पर उपचुनाव में हार के झटके के बाद अब टीडीपी का गठबंधन तोड़ना एक दूसरा बड़ा झटका है. टीडीपी के एनडीए से बाहर आने के बाद उपचुनावों में हार के चलते घिरी बीजेपी पर अब शिवसेना और अकाली दल जैसे महत्वपूर्ण सहयोगी भी दबाव बढ़ा सकते हैं. शिवसेना और एनडीए के बीच मतभेद की खबरें भी लगातार आ रही है.
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