विद्याशंकर तिवारी नई दिल्ली. पंजाब पुलिस द्वारा भाजपा नेता तजिंदरपाल सिंह बग्गा की गिरफ्तारी और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से नया विवाद पैदा हो गया है. पंजाब पुलिस ने मोहाली में मामला दर्ज किया, नोटिस दर नोटिस दिया किंतु बग्गा पुलिस के सामने हाजिर नहीं हुए. फिर क्या था पंजाब पुलिस दिल्ली पहुंची और दिल्ली […]
नई दिल्ली. पंजाब पुलिस द्वारा भाजपा नेता तजिंदरपाल सिंह बग्गा की गिरफ्तारी और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से नया विवाद पैदा हो गया है. पंजाब पुलिस ने मोहाली में मामला दर्ज किया, नोटिस दर नोटिस दिया किंतु बग्गा पुलिस के सामने हाजिर नहीं हुए. फिर क्या था पंजाब पुलिस दिल्ली पहुंची और दिल्ली पुलिस को सूचना दिये बगैर गिरफ्तार कर ले भागी. भाजपा कार्यकर्ताओं और हुक्मरानों को जब खबर लगी तो तत्काल बग्गा के पिताजी से शिकायत लेकर अपहरण का मामला दर्ज हुआ और हरियाणा पुलिस ने कुरुक्षेत्र में पंजाब पुलिस को रोक लिया, बग्गा को छुड़ा लिया. दिल्ली पुलिस पहुंची और बग्गा को वापस ले आई क्योंकि उनके गायब होने को लेकर अपहरण का मामला पहले ही दर्ज कर रखा था. पंजाब पुलिस मामले को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट पहुंची, नोटिस-जवाब का सिलसिला चल रहा है और चलता रहेगा लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि प्रतिशोध की राजनीति कहां आ पहुंची है. सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में भी ऐसी ही कार्रवाई हुई थी. बिहार पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने मुंबई पहुंची थी तो बिहार पुलिस के आईपीएस अफसर को रोककर क्वारंटीन कर दिया गया था.
आखिर बग्गा ने ऐसा क्या कहा था जो आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुभ गई? दरअसल कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर केजरीवाल ने विधानसभा में जो खिल्ली उड़ाई थी उसका भाजपा ने काफी विरोध किया था. भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के नेतृत्व में केजरीवाल के आवास पर प्रदर्शन किया था और तोड़फोड़ हुई थी. बग्गा ने तीखा हमला बोला था और आपत्तिजनक ट्वीट किया था. बग्गा के इसी ट्वीट से उनकी मुसीबत बढ़ गई. पंजाब के मोहाली में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई. तब बग्गा ने यहां तक कह दिया था कि एक नहीं सौ एफआईआर कर लो, केजरीवाल कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर झूठ बोलेंगे, ठहाके लगाएंगे तो मैं छोड़ने वाला नहीं हूं. इसके बाद पंजाब पुलिस को निर्देश मिला और कार्रवाई शुरू हो गई. ऐसे ही कवि कुमार विश्वास के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी क्योंकि चुनाव के दौरान उन्होंने अलगाववादियों से आप और केजरीवाल को जोड़ा था. बात एक दम साफ है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है और आम आदमी पार्टी बताना चाहती है कि दिल्ली में उसके पास पुलिस नहीं है तो क्या हुआ पंजाब पुलिस है न. वो राजनीतिक विरोधियों पर कार्रवाई कर सकती है.
कुमार विश्वास के खिलाफ कार्रवाई से इस कदम को जोड़ेंगे तो शीशे की मानिंद सब कुछ साफ हो जाएगा. इसके लिए सिर्फ आप और अरविंद केजरीवाल को दोषी ठहराना ठीक नहीं होगा, केंद्र बनाम महाराष्ट्र की लड़ाई में भी यही हो रहा है. नवनीत राणा ने हनुमान चालीसा का पाठ करने का ऐलान किया तो न सिर्फ गिरफ्तारी हुई बल्कि बीएमसी की टीम उनका घर तोड़ने पहुंच गई. बग्गा प्रकरण को लेकर सिर्फ भाजपाई ही नहीं बल्कि कांग्रेसी भी अरविंद केजरीवाल और पंजाब की भगवंत मान सरकार पर निशाना साध रहे हैं. कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि बेशक बग्गा अलग पार्टी के हैं, लेकिन अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने उनके साथ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई कर पाप किया है. सिद्धू ने ट्वीट किया, “तजिंदर बग्गा अलग पार्टी से हो सकते हैं, उनके साथ आपके वैचारिक मतभेद भी हो सकते हैं, लेकिन पंजाब पुलिस के माध्यम से व्यक्तिगत हिसाब चुकता करने के लिए अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान का इस तरह राजनीतिक प्रतिशोध लेना एक पाप है… मान और केजरीवाल पंजाब पुलिस का राजनीतिकरण कर उसकी छवि खराब करना बंद करें.”
लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष दुश्मन नहीं राजनैतिक विरोधी होता है और उसकी अपनी जिम्मेदारी होती है. अपनी विचारधारा के हिसाब से वह सत्ता पक्ष पर वार करता है, उसे घेरता है लेकिन उसके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की जाती. डर इस बात का है कि यदि इसी तरह प्रतिशोध की राजनीति चलती रही तो किसी दिन अर्धसैनक बल सीआरपीएफ, बीएसएफ व सीआईएसएफ और राज्य की पुलिस आमने सामने आ सकती है. एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य की पुलिस को घेर सकती है, आरोपियों को छुड़ा सकती है. हुक्मरान जरा गंभीरता से सोचें ऐसा होने लगा तो क्या होगा?
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