Supreme Court CJI On Ayodhya Land Dispute Case: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले 35 दिन तक सु्प्रीम कोर्ट में होगी अयोध्या राम मंदिर विवाद केस की सुनवाई, फैसला नहीं आने पर होगा नई बेंच का गठन

Supreme Court CJI On Ayodhya Land Dispute Case: मध्यस्था के जरिए अयोध्या राम मंदिर- बाबरी मस्जिद विवाद मामले में कोई हल न निकलने के बाद सु्प्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से खुली अदालत में सुनवाई के आदेश दिए हैं. सुनवाई सप्ताह के नॉन मिसलेनियस डे यानी मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को की जाएगी जो 6 अगस्त से शुरू होकर 17 नवंबर तक चलेगी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के पास सुनवाई के लिए 35 दिन हैं और 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी रिटायर हो रहे हैं. संभावना जताई जा रही है कि उनके रिटायर होने से पहले मामले पर फैसला आ सकता है.

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Supreme Court CJI On Ayodhya Land Dispute Case: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले 35 दिन तक सु्प्रीम कोर्ट में होगी अयोध्या राम मंदिर विवाद केस की सुनवाई, फैसला नहीं आने पर होगा नई बेंच का गठन

Aanchal Pandey

  • August 2, 2019 6:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. अयोध्या मामले में मध्यस्था के जरिए कोई हल न निकलने पर कोर्ट ने मामले की 6 अगस्त से हर सप्ताह के तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुनवाई की जाएगी जो 17 नवंबर तक चलेगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नंवबर को ही रिटायर हो रहे हैं तो ऐसे में संभावना है कि फैसला इससे पहले आ सकता है. चीफ जस्टिस के रिटायर होने तक यानि फैसला आने तक सुप्रीम कोर्ट के पास सुनवाई के लिए कुल 35 दिन का समय है. ये 35 दिन ” नॉन मिसलेनियस डे” हैं जो कि सप्ताह में मंगलवार, बुधवार और गुरूवार होते हैं जिनमें कोर्ट पुराने नियमित मामलों की सुनवाई पूरी करता है.

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार और शुक्रवार ”मिसलेनियस डे” होते हैं जिनमें नए मामलों की सुनवाई होती है. 6 अगस्त से चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट के दिन 17 नवंबर 2019 तक शनिवार, रविवार और अन्य अवकाश के दिनों को हटाकर सुनवाई के 35 दिन है. इन दिनों में सुनवाई भी होनी है और फ़ैसला भी लिखा जाना है.

दरअसल कानूनी जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में चल रही तय व्यस्था या कल्चर के हिसाब से अगर कोई बेंच किसी मामले की अंतिम सुनवाई कर रही है तो उसी बेंच को फ़ैसला सुनाना होता है. अगर किसी मामले की अंतिम सुनवाई कर रही बेंच का कोई जस्टिस रिटायर्ड होते है तो फिर नई बेंच का गठन होगा.

नई बेंच के गठन होने के बाद फिर नए सिरे से मामले की सुनवाई शुरू होगी. क्योंकि बेंच में शामिल नए जस्टिस को इससे पहले सुनवाई में क्या हुआ ये नही पता होता है इस लिए मामले की सुनवाई फिर से नए सिरे से की जाती है.

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